उल्हासनगर नाम रखने से पहले इस शहर का नाम कल्याण कैम्प था, जानिए कैसे बना उल्हासनगर

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उल्हासनगर शहर का स्थापना दिवस 8 अगस्त 2023 को है...

उल्हासनगर का 74 साल का इतिहास आपके समक्ष प्रस्तुत है...

उल्हासनगर शहर की स्थापना 8 अगस्त 1949 साल में हुयी,

उल्हासनगर की स्थापना का शिलालेख उमनपा कार्यालय के पिछे आज जहां स्विमिंग पुल है, केम्प नम्बर 3 में वहां तत्कालीन गवर्नर श्री सी राजगोपालाचारी जी के हाथो रखा गया था,

विठलवाडी स्टेशन नाम के पहले इस स्टेशन का नाम जेम्स रेल्वे साइडिंग के नाम से जाना जाता था,

1949 में बना उल्हासनगर का सबसे पहला आश्रम स्वामी शांतिप्रकाश आश्रम था,

उल्हासनगर में तब से आज तक हर केंप में ओटी सेक्शन बोला जाता है, ओटी शब्द का पुर्णअर्थ ऑफिसर्स टेनामेंट है,

उल्हासनगर में उस समय से बना वीटीसी ग्राउंड में वीटीसी शब्द का पुर्णअर्थ वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर है,

1947 में सिंध प्रांत से निर्वासित होके आये मराठी समाज की तभी से बनी संस्था का नाम सिंध महाराष्ट्रीय समाज है, जो आज भी मराठा सेक्शन में कार्यरत है,

1947 के स्वतंत्रता संग्रांम में हिस्सा लिये उल्हास नगर अम्बरनाथ बदलापुर के 40 स्वतंत्रता सेनानी और शहीदों के नाम का शिलालेख उल्हासनगर में आज भी गोलमैदान के मुख्य द्वार पर स्थापित है,

उल्हास नगर में 1947 के पूर्व से ही बना एक मिलीट्री तालाब हुआ करता था, वो इस समय भी उल्हासनगर कैम्प 3 स्थित रामायण नगर के सामने है, जिसे अभी बन्द कर दिया गया है, उल्हासनगर में ऐसे 5 मिलिट्री तालाब थे, 

उल्हास नगर में 1947 से लेकर आज तक 75 सालो से अखण्ड एक पवित्र ज्योती प्रज्वलीत हो रही है वो स्थान पुज्य चालिया मंदिर है, जहां पीरघोट से 75 साल पहले लायी गयी ज्योत अखंड प्रज्वलित है, इस पवित्र ज्योती के अखंड मानवनिर्मिति और मानव प्रज्वलित ज्योती के नामसे अनेकों रेकॉर्ड बुक्स में दर्ज करवाने का कार्य भी सम्पन्न हो चुका है,

सिंधी समाज द्वारा प्रती वर्ष मनाये जाने वाला पवित्र पर्व चालिया जो चालीस दिनतक मनाया जाता है,

सिंधी भाई बंटवारे के बाद जब भारत मे आये 

तब उल्हासनगर के सिंधी भाई पवित्र ज्योत के साथ कुल 5 धार्मिक य़ादगारे अपने साथ लाये थे, जिसमें ज्योती, जल, मिट्टी, दुर्वा और डफ है।

1947 में सिंध प्रांत से आये निर्वासितो की संख्या 94000 थी, निर्वासितो के लिये 2126 बैरेक और 1176 मकानों में प्रस्थापित किये गये थे,

उल्हास नगर शहर सबसे पहले  केंप नम्बर 5 से बसना शुरू हुआ था,

उल्हासनगर 5 के मटमन्दिर के पिछे संगीत विद्यालय था, जहां हारमोनियम, तबला बांसुरी आदि वाद्य सिखाये जाते थे, एक बालमंदिर भी था जहां बच्चों के खिलौने रखे रहते और बच्चों को पढ़ाया जाता था,

सुंदर सेवक सभा के परसराम मसंद जी द्वारा एक लाइब्रेरी भी बनाई गई थी, जहां किताबें और अखबार पढ़े जाते थे, फतहचन्द गुरबाणी नारिशाला भी उस समय थी,

जहाँ अभी स्वामी सर्वानंद अस्पताल है, जो स्वामी शांतिप्रकाश जी ने बनवाया, वहां मुफ्त आंखों का अस्पताल भी श्री परसराम मसंद द्वारा ही खोला गया था, जहाँ साल में दो बार डॉ आते थे और ऑपरेशन होता था,

ज़िला परिषद द्वारा हर कैम्प में सिंधी भाषा स्कुल खोले गए थे, सिंधु एजुकेशन सोसायटी द्वारा खेमानी में इंग्लिश स्कुल शुरू किया गया,

परसराम पेरुमल के नामसे न्यु ईरा इंग्लिश स्कुल और जूनियर कॉलेज भी उसी समय खुला था, 

सबसे पहले नीले रंग का राशन कार्ड बना था, जिसपर हर एक कैम्प में राशन ऑफिस खोलकर मुफ़्त में आलु, प्याज और दुध बांटा जाता था, किटली की चाय हमारे शहर में 75 सालों से बिक रही है,

उल्हासनगर की सबसे प्रसिद्ध फ़िल्म इंडस्ट्री में नाम कमाने वाली 2 अभिनेत्री बहनें साधना जी बबिता कपुर जी है,

थाने ज़िला का सबसे बडा टाउन हॉल उल्हास नगर में है उसका नाम शहीद जनरल अरुणकुमार वैद्य सभागृह रखा गया है,

थाने जिला का सबसे बड़ा सेमी ओलिम्पिक स्विमिंग पुल भी उल्हासनगर में स्थित है, थाने जिला का क्षेत्रफल में सबसे बड़ा कॉलेज सीएचएम कॉलेज है,

थाने जिला की सबसे बड़ी लाईब्रेरी भी उल्हासनगर के आरकेटी कॉलेज में है,

उल्हास नगर नगरपालिका में क्षेत्रफल बढाने हेतु आसपास के म्हारलगांव, वरप, काम्बा, आशेले, मानेरे, आणे और भिसोळ ये 7 गांव शामिल करने का प्रस्ताव था,

उल्हासनगर महानगर पालिका का क्षेत्रफल मात्र 13.04 चौरस किलोमीटर है,

2011 की जनगणना नुसार उल्हास नगर की कुल आबादी 5,06,937 है,

उल्हासनगर में इंडियन नेव्ही बेस है जो कैम्प 3 के अशोक अनिल टॉकीज़ के सामने है,

सन 1939 से लेकर 1945 के बीच उल्हासनगर शहर जो पहले कल्याण कैम्प के नाम से जाना जाता था, एक मिल्ट्री कैम्प था, दुसरे विश्वयुद्ध के दौरान के सिपाही यहां रहते थे, 1945 में विश्वयुद्ध समापन के बाद यहां से ब्रिटिश आर्मी चली गयी और 2 साल से बन्द पड़े जंगल, गलेतक की घास, सांप, बिछुओं से भरी इस धरती पर निर्वासितों को ला फेंका गया,

इस शहर के लोगों ने मेहनत मशक्कत करके जंगल को रहने लायक नगर बनाया, 1947 में जो एक जंगल था उसमें आज 2019 में 70 सालों में 250 किलोमीटर की सीमेंट कंक्रीट की सड़कें और गलियां है, 60 प्राइवेट निजी अस्पताल है, 3 सरकारी अस्पताल है, 255 क्लिनिक है, 129 प्राइमरी, 56 सेकंडरी और 9 हाईयर सेकंडरी स्कुल है, साथ ही 19 कॉलेज है, दर्जनों गार्डन है, कम समय मे बिना किसी साधन और सरकारी सुविधाओं के अभाव में इतनी तरक्की करने वाला ये देश का एकमात्र शहर है, साथ ही देश का पहला ये शहर है जो अपना जन्मदिन मना सकता है, देश की पहली ट्रेन थाने और मुंबई के बीच 1865 मे जब शुरू हुई थी, तब उस ट्रेन के इंजिन के लिए पानी की व्यवस्था जिस वालधुनी नदी द्वारा की गई थी वो नदी उल्हासनगर से होकर ही गुज़रती है, वालधुनी तथा उल्हास ये 2 नदियाँ और विट्ठलवाडी, शहद और उल्हास ये 3 रेल्वे स्टेशन इस शहर के भाग्य में है,

ऐसे हमारे प्यारे उल्हासनगर शहर की स्थापना को 8 अगस्त 2023 के दिन 74 साल पुरे हो रहे है,

उल्हासनगर की संस्कॄति के बारे मे, अपने शहर के बारे मे जान सको इसलिए ये जानकारी आप सभी के समक्ष प्रस्तुत की गई है।

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