RBI ने 500-1000 के जितने नोट छापे, देश में पिछले पांच साल में उनमें करीब दोगुना बढ़ोत्तरी हो गई थी। ऐसा बाजार में फेक करंसी और ब्लैकमनी की वजह से हुआ। पुराने बड़े नोट बंद करने के सरकार के फैसले से इस पर काफी हद तक लगाम लगने की उम्मीद है। बाजार में कुछ समय की मंदी के बाद महंगाई कम हो सकती है। मकान 20-25 फीसदी सस्ते हो सकते हैं। अगले महीने आरबीआई जब मॉनिटरी पॉलिसी का रिव्यू करेगा, तब लोन पर इंटरेस्ट रेट 1 से 1.5 फीसदी तक कम हो सकता है। hindmatamirror.in ने द फाइनेंशियल प्लानर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के मेंबर जितेंद्र सोलंकी, पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स रहीस सिंह और गुरचरन दास से समझा सरकार के फैसले का नफा-नुकसान ...
फायदे की 5 बातें...
Q. देश को क्या फायदा हुआ?
- टेररिज्म के लिए होने वाली फंडिंग नोटबंदी के फैसले के साथ ही कुछ समय के लिए थम गई है।
- बाजार में 500-1000 रुपए के नोट के रूप में मौजूद नकली करंसी पूरी तरह बेकार हो गई।
- आरबीआई की मार्च में आई रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 17.77 लाख करोड़ की कुल करंसी चलन में थी।
- फाइनेंस सेक्रेटरी शक्तिकांत दास के मुताबिक, पिछले पांच साल में देश में 500 के नोटों की संख्या में 76 फीसदी और 1000 के नोट में 109 फीसदी का इजाफा हुआ है। यह सब फेक करंसी की वजह से हुआ।
- बताया जाता है कि देश में कुल करंसी का करीब 80 फीसदी ब्लैक मनी या फेक करंसी के रूप में है।
- सरकार के इस फैसले से कुछ महीनों के लिए देश में बड़ी रिश्वतखोरी कम हो जाएगी। आम आदमी जरूरत के पैसों का इंतजाम करने और बड़े नोट बदलने में लगा है। ऐसे में, वह छोटे नोटों में भी रिश्वत देना नहीं चाहता।
- 10-20 लाख तक की ब्लैकमनी व्हाइट करने के तरीके शायद कामयाब भी हो जाएं, लेकिन 50 लाख, 1 करोड़ या इससे ज्यादा की रकम को व्हाइट करने पर बेईमान फंस जाएंगे।
- बाजार में 500-1000 रुपए के नोट के रूप में मौजूद नकली करंसी पूरी तरह बेकार हो गई।
- आरबीआई की मार्च में आई रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 17.77 लाख करोड़ की कुल करंसी चलन में थी।
- फाइनेंस सेक्रेटरी शक्तिकांत दास के मुताबिक, पिछले पांच साल में देश में 500 के नोटों की संख्या में 76 फीसदी और 1000 के नोट में 109 फीसदी का इजाफा हुआ है। यह सब फेक करंसी की वजह से हुआ।
- बताया जाता है कि देश में कुल करंसी का करीब 80 फीसदी ब्लैक मनी या फेक करंसी के रूप में है।
- सरकार के इस फैसले से कुछ महीनों के लिए देश में बड़ी रिश्वतखोरी कम हो जाएगी। आम आदमी जरूरत के पैसों का इंतजाम करने और बड़े नोट बदलने में लगा है। ऐसे में, वह छोटे नोटों में भी रिश्वत देना नहीं चाहता।
- 10-20 लाख तक की ब्लैकमनी व्हाइट करने के तरीके शायद कामयाब भी हो जाएं, लेकिन 50 लाख, 1 करोड़ या इससे ज्यादा की रकम को व्हाइट करने पर बेईमान फंस जाएंगे।
Q. इकोनॉमी को क्या फायदा है?
- बोफा मेरिल लिंच ग्लोबल रिसर्च के मुताबिक, पुराने बड़े नोट बंद करने पर जो लोग बैंकों में आकर जो कैश जमा करा रहे हैं, वह रकम जीडीपी का 1 से 2 फीसदी हिस्सा हो सकती है।
- बोफा मेरिल लिंच ग्लोबल रिसर्च के मुताबिक, पुराने बड़े नोट बंद करने पर जो लोग बैंकों में आकर जो कैश जमा करा रहे हैं, वह रकम जीडीपी का 1 से 2 फीसदी हिस्सा हो सकती है।
- आरबीआई की लाइबिलिटीज कम होंगी। अभी जितनी करंसी आरबीआई छापता है, उसका बड़ा हिस्सा ब्लैकमनी के रूप में लोग छुपाकर रख लेते हैं। इसके बदले में आरबीआई को दूसरे नोट छापने पड़ते हैं। बाजार में नकली करंसी भी चल रही है।
- नोटबंदी से इन सब पर लगाम लगेगी तो बाजार में करंसी का फ्लो बढ़ेगा।
- लोग पैसा अकाउंट में जमा कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इससे इनकम टैक्स कलेक्शन करीब 1 लाख करोड़ रुपए बढ़ने का अनुमान है।
- नोटबंदी से इन सब पर लगाम लगेगी तो बाजार में करंसी का फ्लो बढ़ेगा।
- लोग पैसा अकाउंट में जमा कर रहे हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इससे इनकम टैक्स कलेक्शन करीब 1 लाख करोड़ रुपए बढ़ने का अनुमान है।
Q. आम आदमी को क्या फायदा होगा?
- बाजार में कुछ समय के लिए मंदी रहेगी, लेकिन तेजी से लिक्विडिटी बढ़ेगी। इससे महंगाई कम होगी।
- खासतौर पर रियल एस्टेट सेक्टर, जिसमें 60-80 फीसदी ब्लैकमनी के रूप में कैश पेमेंट होता है। अब यह कुछ समय के लिए थम जाएगा। इससे इस सेक्टर में 20-25 फीसदी तक रेट कम होने की उम्मीद है।
- बैंकों में नकदी बढ़ी है। दिसंबर में आरबीआई की नई फाइनेंशियल पॉलिसी आने वाली है। इसमें इंटरेस्ट रेट 1-1.5 फीसदी तक कम होने का अनुमान है।
- भ्रष्टाचार पर कुछ हद तक लगाम लगेगी। इससे आम आदमी के सरकारी काम आसानी से होंगे।
- बाजार में कुछ समय के लिए मंदी रहेगी, लेकिन तेजी से लिक्विडिटी बढ़ेगी। इससे महंगाई कम होगी।
- खासतौर पर रियल एस्टेट सेक्टर, जिसमें 60-80 फीसदी ब्लैकमनी के रूप में कैश पेमेंट होता है। अब यह कुछ समय के लिए थम जाएगा। इससे इस सेक्टर में 20-25 फीसदी तक रेट कम होने की उम्मीद है।
- बैंकों में नकदी बढ़ी है। दिसंबर में आरबीआई की नई फाइनेंशियल पॉलिसी आने वाली है। इसमें इंटरेस्ट रेट 1-1.5 फीसदी तक कम होने का अनुमान है।
- भ्रष्टाचार पर कुछ हद तक लगाम लगेगी। इससे आम आदमी के सरकारी काम आसानी से होंगे।
Q. बैंकों को क्या फायदा होगा?
- बैंकों के पास बड़ी मात्रा में कैश पहुंच रहा है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने शनिवार को अपने बयान में बताया था कि 12 नवंबर दोपहर तक देशभर की बैंकों के पास 2,02,103 करोड़ रुपए जमा हो चुके थे। सिर्फ एसबीआई के पास ही पिछले चार दिन में 60 हजार करोड़ रुपए कैश डिपॉजिट हो चुका है।
- डिपॉजिट बढ़ने से अब बैंक इस रकम का इस्तेमाल, बॉन्ड मार्केट में या लोन देने में कर सकेंगे। इससे वे मुनाफा कमाएंगे।
- जमा हो रही रकम को बैंक अपना एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) बैलेंस करने में इस्तेमाल कर सकेंगे। एसबीआई का कुल एनपीए बढ़कर 60013 करोड़ रुपए हो गया है। एनपीए ऐसा लोन होता है जो बैंक ने दिया, लेकिन वापस नहीं आया।
- हालांकि, लोगों ने अभी यह पैसा नोट बदलने के लिए जमा किया है। लिहाजा, वे इसे निकालना भी शुरू करेंगे। लेकिन उसकी रफ्तार धीमी होगी। बैंक इससे करीब 4-5 महीने तक मुनाफा कमा सकते हैं।
- बैंकों के पास बड़ी मात्रा में कैश पहुंच रहा है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने शनिवार को अपने बयान में बताया था कि 12 नवंबर दोपहर तक देशभर की बैंकों के पास 2,02,103 करोड़ रुपए जमा हो चुके थे। सिर्फ एसबीआई के पास ही पिछले चार दिन में 60 हजार करोड़ रुपए कैश डिपॉजिट हो चुका है।
- डिपॉजिट बढ़ने से अब बैंक इस रकम का इस्तेमाल, बॉन्ड मार्केट में या लोन देने में कर सकेंगे। इससे वे मुनाफा कमाएंगे।
- जमा हो रही रकम को बैंक अपना एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) बैलेंस करने में इस्तेमाल कर सकेंगे। एसबीआई का कुल एनपीए बढ़कर 60013 करोड़ रुपए हो गया है। एनपीए ऐसा लोन होता है जो बैंक ने दिया, लेकिन वापस नहीं आया।
- हालांकि, लोगों ने अभी यह पैसा नोट बदलने के लिए जमा किया है। लिहाजा, वे इसे निकालना भी शुरू करेंगे। लेकिन उसकी रफ्तार धीमी होगी। बैंक इससे करीब 4-5 महीने तक मुनाफा कमा सकते हैं।
Q. सरकार को क्या फायदा होगा?
A. लोगों को लग रहा है कि सरकार ने बड़ा और कड़ा कदम उठाया है। इससे करप्ट लोगों की ब्लैकमनी एक झटके में खत्म हो गई। इस माहौल से यूपी और पंजाब चुनाव में केंद्र की बीजेपी सरकार या उसके सपोर्ट वाली पार्टियों को फायदा हो सकता है।
- यूपी या पंजाब चुनाव में दूसरी पार्टियों ने कैम्पेनिंग के लिए जो ब्लैकमनी जमा कर रखी थी, उसे बाहर लाना मुश्किल होगा। इससे इलेक्शन कैम्पेनिंग पर असर होगा। फायदा बीजेपी को मिल सकता है।
A. लोगों को लग रहा है कि सरकार ने बड़ा और कड़ा कदम उठाया है। इससे करप्ट लोगों की ब्लैकमनी एक झटके में खत्म हो गई। इस माहौल से यूपी और पंजाब चुनाव में केंद्र की बीजेपी सरकार या उसके सपोर्ट वाली पार्टियों को फायदा हो सकता है।
- यूपी या पंजाब चुनाव में दूसरी पार्टियों ने कैम्पेनिंग के लिए जो ब्लैकमनी जमा कर रखी थी, उसे बाहर लाना मुश्किल होगा। इससे इलेक्शन कैम्पेनिंग पर असर होगा। फायदा बीजेपी को मिल सकता है।
नुकसान की 5 बातें...
Q.देश को क्या नुकसान हुआ?
- प्रोडक्टिविटी कम हो रही है। बड़ा सरकारी अमला सिर्फ सुरक्षा और नोट से जुड़े बंदोबस्त में ही लगा दिया गया है।
-ज्यादातर रकम बैंकों में पहुंच जाएगी,तो बाजार में नोटों की कमी होगी। इसका फ्लो बढ़ने में थोड़ा वक्त लगेगा।
- प्रोडक्टिविटी कम हो रही है। बड़ा सरकारी अमला सिर्फ सुरक्षा और नोट से जुड़े बंदोबस्त में ही लगा दिया गया है।
-ज्यादातर रकम बैंकों में पहुंच जाएगी,तो बाजार में नोटों की कमी होगी। इसका फ्लो बढ़ने में थोड़ा वक्त लगेगा।
Q.इकोनॉमी को क्या नुकसान है?
- होम अप्लाएंसेस और ऑटो मोबाइल सेक्टर में बिक्री लगभग थम गई है। इससे इंडस्ट्रीज और रिटेलर दोनों की ग्रोथ नीचे आ रही है।
-कुछ समय के लिए यह मंदी इकोनॉमी को नुकसान पहुंचा सकती है। हालांकि,इसके जल्द ही मुश्किल से बाहर आ जाने की गुंजाइश है।
Q.आम आदमी को क्या नुकसान होगा?
- शादी वाले परिवारों में ज्यादा दिक्कत है।
-जिन परिवारों में बैंक से बड़ी रकम निकाल ली गई थी,उसे जमा करने के बाद में उतनी रकम तुरंत नहीं मिल रही।
-कोई उधार लेकर शादी के इंतजाम करने की सोच रहा था,तो अब उधार भी नहीं मिल रहा है।
-सोना महंगा बेचा जा रहा है। लोगों से दस ग्राम सोने के लिए 40-50 हजार रुपए तक लिए जा रहे हैं।
- शादी वाले परिवारों में ज्यादा दिक्कत है।
-जिन परिवारों में बैंक से बड़ी रकम निकाल ली गई थी,उसे जमा करने के बाद में उतनी रकम तुरंत नहीं मिल रही।
-कोई उधार लेकर शादी के इंतजाम करने की सोच रहा था,तो अब उधार भी नहीं मिल रहा है।
-सोना महंगा बेचा जा रहा है। लोगों से दस ग्राम सोने के लिए 40-50 हजार रुपए तक लिए जा रहे हैं।
Q.बैंकों को क्या नुकसान होगा?
- बैंकों के लॉकर,एफडी,फाइनेंस जैसे काम थम गए हैं। सिर्फ डिपोजिट,एक्सचेंज और विदड्रॉवल हो रहा है।
-इम्प्लॉइज की छुट्टियां कैंसल हो गई हैं। उन्हें ओवर टाइम काम करना पड़ रहा है। ज्यादा पैसा एक साथ आ रहा है,इसलिए भूल-चूक होने की आशंका ज्यादा है।
-बहुत ज्यादा कैश जमा हो जाने से उसे इन्वेस्ट करना बैंकों के लिए चुनौती भरा होगा।
- बैंकों के लॉकर,एफडी,फाइनेंस जैसे काम थम गए हैं। सिर्फ डिपोजिट,एक्सचेंज और विदड्रॉवल हो रहा है।
-इम्प्लॉइज की छुट्टियां कैंसल हो गई हैं। उन्हें ओवर टाइम काम करना पड़ रहा है। ज्यादा पैसा एक साथ आ रहा है,इसलिए भूल-चूक होने की आशंका ज्यादा है।
-बहुत ज्यादा कैश जमा हो जाने से उसे इन्वेस्ट करना बैंकों के लिए चुनौती भरा होगा।
Q.सरकार को क्या नुकसान होगा?
- सरकार अभी अपने इस फैसले को बड़ा और साहस भरा कदम बता रही है। लोगों को भी लग रहा है कि दूसरी सरकारों में शायद ऐसा कर पाने का साहस नहीं था।
-इस फैसले से देश को क्या फायदा हुआ,यह सरकार के लिए यह जल्द बता पाना मुश्किल होगा। -अगर दूसरे दल लोगों को यह भरोसा दिलाने में कामयाब हो गए कि सरकार के इस कदम से परेशानी के सिवाय कुछ नहीं मिला,तो आगे के चुनावों में खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
- सरकार अभी अपने इस फैसले को बड़ा और साहस भरा कदम बता रही है। लोगों को भी लग रहा है कि दूसरी सरकारों में शायद ऐसा कर पाने का साहस नहीं था।
-इस फैसले से देश को क्या फायदा हुआ,यह सरकार के लिए यह जल्द बता पाना मुश्किल होगा। -अगर दूसरे दल लोगों को यह भरोसा दिलाने में कामयाब हो गए कि सरकार के इस कदम से परेशानी के सिवाय कुछ नहीं मिला,तो आगे के चुनावों में खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
सरकार और पार्टी साथ
-सरकार और पूरी पार्टी एक सुर में बोल रही है। कोई विरोधाभास नहीं है। मोदी को बेहतर काम दिखाने का मौका मिला है। पार्टी में उनके फैसले का विरोध करने वाला कोई नहीं है। खास बात ये है कि पार्टी वही सब बोल रही है,जो मोदी कह रहे हैं।
-ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सिंह ने पीएम रहते हुए एक अध्यादेश जारी किया। राहुल विरोध में थे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उस अध्यादेश को फाड़ दिया। ऐसा बीजेपी या सरकार में मुमकिन नहीं दिखता।
-अमित शाह ने मोदी के फैसले को देशहित से जोड़ दिया। कह दिया कि जो भी इस फैसले के साथ नहीं है,वो हवाला कारोबारियों का साथी हो सकता है।
-सरकार और पूरी पार्टी एक सुर में बोल रही है। कोई विरोधाभास नहीं है। मोदी को बेहतर काम दिखाने का मौका मिला है। पार्टी में उनके फैसले का विरोध करने वाला कोई नहीं है। खास बात ये है कि पार्टी वही सब बोल रही है,जो मोदी कह रहे हैं।
-ये समझना जरूरी है कि मनमोहन सिंह ने पीएम रहते हुए एक अध्यादेश जारी किया। राहुल विरोध में थे। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उस अध्यादेश को फाड़ दिया। ऐसा बीजेपी या सरकार में मुमकिन नहीं दिखता।
-अमित शाह ने मोदी के फैसले को देशहित से जोड़ दिया। कह दिया कि जो भी इस फैसले के साथ नहीं है,वो हवाला कारोबारियों का साथी हो सकता है।
यूपी इलेक्शन पर असर
-असर तो पड़ेगा। हो सकता है,पार्टियां सीधे वर्कर्स को पैसा दें।
-हालांकि,इसमें कोई दो राय नहीं है कि चुनाव में ब्लैकमनी का इस्तेमाल होता है। इलेक्शन कमीशन इस पर रोक लगाने की कोशिशें करता रहा है।
-यूपी चुनाव में धर्म और जाति का असर किसी से छुपा नहीं है। इसलिए ये बड़ा मुद्दा बनेगा,ऐसा कम ही लगता है।
-कुछ पार्टियों पर कम तो कुछ पर ज्यादा असर देखा जा सकता है।
-असर तो पड़ेगा। हो सकता है,पार्टियां सीधे वर्कर्स को पैसा दें।
-हालांकि,इसमें कोई दो राय नहीं है कि चुनाव में ब्लैकमनी का इस्तेमाल होता है। इलेक्शन कमीशन इस पर रोक लगाने की कोशिशें करता रहा है।
-यूपी चुनाव में धर्म और जाति का असर किसी से छुपा नहीं है। इसलिए ये बड़ा मुद्दा बनेगा,ऐसा कम ही लगता है।
-कुछ पार्टियों पर कम तो कुछ पर ज्यादा असर देखा जा सकता है।