Exposed: ऐसे होता है 'काले धन' को 'जन धन' बनाने का गोरखधंधा

hindmatamirror
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प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी जन-धन योजना 2014 में साधनहीन लोगों को औपचारिक बैंकिंग से जोड़ने के लिए लाई गई थी. इसके तहत सब्सिडी और गरीबों को दिए जाने वाले अन्य लाभों को सीधे उनके खाते में भेजा जाता है. साथ ही इस योजना का उद्देश्य भ्रष्टाचार और दलालों के दखल पर प्रभावी रोक लगाना है.
 विशेष जांच टीम ने पता लगाया कि कैसे कुछ अनैतिक तत्व अत्यंत गरीबों की मदद के लिए शुरू की गई इस महत्वाकांक्षी योजना का बेजा इस्तेमाल करने की फिराक में हैं. समानांतर अर्थव्यवस्था के खिलाफ छेड़ी गई मुहीम के तहत अंडर कवर रिपोर्टर्स ऐसे अवांछित तत्वों तक पहुंचने में कामयाब रहे, जो काले धन को खपाने के लिए जन-धन खातों के प्लेटफॉर्म की पेशकश कर रहे हैं.
सामान्य सेवाएं केंद्र योजना जरिए होता है सारा खेल
सरकार की सामान्य सेवाएं केंद्र योजना ( CSC) के फ्रेंचाइजी और ग्रामीण उद्यमी अकबर अली ने जन धन खातों का रूट उपलब्ध कराने के लिए बंद हो चुके नोटों के मूल्य के बदले 50 फीसदी कमीशन की मांग की. अंडर कवर रिपोर्टर्स ने अकबर अली से दिल्ली में एक कॉफी शॉप में बात की. अकबर अली ने अंडर कवर रिपोर्टर्स को बताया, बहुत सारे जनधन खाते हैं. कृषि (से जुड़े खाते) हैं. किसान हैं. असल में खाते जन धन नहीं है बल्कि इससे जुड़े खाताधारी हैं. अगर कोई मजदूर है तो वो जन धन है. अगर कोई किसान है तो वो जन-धन है.
आसानी में मुहैया कराते हैं जन-धन खाता
अकबर अली ने दावा किया कि वो काले धन को उन जन धन खातों में आसानी से जमा करवा सकता है, जिन्हें उसने अपनी मदद से खुलवाया है. अंडर कवर रिपोर्टर ने पूछा, 'आप हमारे लिए, जन धन या किसानों के कितने खाते काले धन के लिए मुहैया करा सकते हैं.' अकबर अली का जवाब था, 'बहुत सारे हैं, आप उसकी चिंता मत करो. ऐसे करीब 8500 खाते हैं.' अली ने कहा कि ऐसे खातों में जमा कराने वालों को अगले साल अप्रैल और मई में उनकी रकम का 50 फीसदी मिल जाएगा जो व्हाइट होगा.'
ऐसे व्हाइट होती है ब्लैक मनी
अली उसी सीएससी योजना का ग्रामीण स्तरीय उद्यमी है, जिसे सरकार के डिजिटल इंडिया कार्यक्रम का अहम हिस्सा माना जाता है. सीएससी स्थानीय आबादी को सरकारी संस्थानों, बैंकों और शैक्षणिक संस्थाओं से जोड़ने का साधन है. अली को डिजिटल इंडिया अभियान में योगदान देने के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है. अली के रिश्तेदार और दिल्ली निवासी बिल्डर जुबेर ने भी काली कमाई को जालसाजी से तीसरी पार्टी के खातों में ट्रांसफर करने की पेशकश की. अंडर कवर रिपोर्टर्स ने काल्पनिक 10 करोड़ रुपए के 500 और 1000 रुपए के नोटों को वैध करेंसी में बदलवाने की बात कही.
सामान्य बैंक खातों में भी हो रही बिक्री
आजतक/इंडिया टुडे की जांच टीम ने पाया कि जन-धन ही नहीं सामान्य बैंक खाते भी एक तरीके से उन लोगों के लिए बिक्री के लिए उपलब्ध हैं, जो सरकार से अपनी कमाई को छुपा कर रखना चाहते हैं. दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर के पास अंडर कवर रिपोर्टर्स को विनोद नाम का ऐसा शख्स मिला, जो अपने निजी खाते में काल्पनिक रकम को रखने के लिए तैयार मिला. विनोद ने कहा, 'मैं अपने खाते में आपका पैसा रखूंगा. आपकी पूरी रकम 'सुरक्षित' (टैक्स अधिकारियों से) रहेगी. आप बताइए कि आप मुझे कितना पैसा देंगे. फिर उसने खुद ही साफ कर दिया कि वो 10 फीसदी कमीशन लेगा.'



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