मुंबई.8 नवंबर को 500 और 1000 के नोट बंद होने के बाद सबसे ज्यादा असर सोने के बाजार पर रहा। शुरुआती दिनों में ग्रे मार्केट में डिमांड बढ़ी और दाम 50 हजार रु. प्रति 10 ग्राम को पार कर गए। इसके बाद से सराफा बाजारों से खरीदारों की संख्या में तेजी से कमी दर्ज की गई है। देश में औसतन 40 फीसदी तक सोने की मांग में कमी आई है। आने वाले छह महीने तक डिमांड सुधरने की उम्मीद कम है। पुरानी ज्वैलरी से नए गहने बनवाने वालों में बढ़ोतरी...
- 8 नवंबर के बाद से दो दिसंबर तक भावों में 5 फीसदी या 1500 रु. से ज्यादा की गिरावट दर्ज की जा चुकी है- भविष्य में सोने की कीमत और नीचे जा सकती है, करीब सात फीसदी यानी भाव 26 हजार रु. तक के लेवल पर आ सकता है। इंटरनेशनल बाजारों में 2017 तक सोने की कीमत में नरमी रह सकती है।
- भारत में 700 से 750 टन सोने के जेवर प्रतिवर्ष बनाए खरीदे जाते हैं। नोटबंदी के बाद पुरानी ज्वैलरी से नए गहने बनवाने वालों की संख्या में बढ़ोतरी आई है।
क्या कहते हैं देश के कारोबारी:
भविष्य में होगी और खरीददारी
- इस बारे में बात करने पर देश के सबसे बड़े कारोबारी राजेश एक्सपोर्ट्स के चेयरमैन राजेश मेहता ने बताया कि नोटबंदी के बाद कारोबार पर असर हुआ है।
- पिछले 25 दिनों में डिमांड 40 फीसदी तक कम हो गई है, लेकिन आगे चलकर बाजार बेहतर करेगा क्योंकि लोगों का एक बार फिर सोने पर भरोसा बढ़ा है, भविष्य में और खरीददारी होगी।
- उनके मुताबिक, सोने की कीमतों में कमी की एक वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व के द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी का अनुमान भी है। भावों में आगे भी गिरावट बनी रह सकती है।
आ सकती है 1800 रुपए की गिरावट
- भावों के बारे में बात करते हुए पेंटा गोल्ड के निदेशक चेतन श्राफ ने कहा कि इंटरनेशनल लेवल पर सोने के दाम वर्तमान में 1176-1177 डॉलर प्रति ओंस चल रहा है।
- अगले कुछ महीनों में भाव 1100 डॉलर प्रति ओंस (28.3495 ग्राम) पर रह सकता है। यानी भारतीय बाजार में सोने की कीमत में करीब 1800 रुपए की गिरावट आ सकती है।
ज्यादातर कारोबार नगदी में होने से ग्राहकी न के बराबर
- रिद्धी सिद्धी बुलियन के निदेशक पृथ्वीराज कोठारी ने कहा कि ज्वैलरी मार्केट में ग्राहकी न के बराबर रह गई है। कहीं-कहीं 10 फीसदी ही कारोबार बचा है।
- अभी बाजार में सामान्य मांग आने में छह महीने लगेंगे। जो ग्राहकी हो भी रही है वहां नए ग्राहक न आते हुए पुरानी ज्वैलरी लेकर आ रहे हैं उससे ही नई ज्वैलरी ले जा रहे हैं क्योंकि खरीददारी के लिए पैसा नहीं है।
- हमारे ट्रेड में 70 फीसदी से ज्यादा कारोबार नगदी में ही होता है।