नई दिल्ली। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल)-10 के बीच में ही उसके प्रसारणकर्ता और प्रायोजक चुनने की तैयारी शुरू होने जा रही है। इसके लिए 5 मई को यहां आईपीएल संचालन परिषद की बैठक बुलाई गई है। आईपीएल मीडिया अधिकार से ही बीसीसीआई को अगले दस साल में 18000 से 30000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है।
आईपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला की अध्यक्षता में होने वाली बैठक का मुख्य एजेंडा इस लीग के मीडिया अधिकार और आईपीएल का नया मुख्य प्रायोजक चुनने की प्रक्रिया शुरूकरना है। सोनी पिक्चर नेटवर्क इंडिया के साथ आईपीएल के दस साल के मीडिया राइट्स का करार लगभग 6700 करोड़ रुपए में हुआ था, जो इस साल खत्म हो जाएगा।
अनुराग ठाकुर के अध्यक्ष रहते बीसीसीआई ने नए प्रसारणकर्ता को ढ़ूंढ़ने की तैयारी शुरूकर दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जस्टिस आरएम लोढ़ा समिति ने उसके तत्कालीन अधिकारियों को अयोग्य मानते हुए उन्हें ऐसा करने से रोक दिया था। इसके बाद इस साल की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट ने अध्यक्ष अनुराग और सचिव अजय शिर्के को लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू नहीं करने के कारण बर्खास्त कर दिया।
यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के कामकाज के सुपरविजन के लिए विनोद राय की अध्यक्षता में प्रशासकों की समिति (सीओए) भी नियुक्त कर दी थी। तब से मामला ठंडे बस्ते में पड़ा था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा-बैठक में महीनों से रुकी इस प्रक्रिया को फिर से शुरू करने पर चर्चा होगी। इसके साथ ही आईपीएल का नया मुख्य प्रायोजक चुनने की प्रक्रिया भी शुरूकी जाएगी, क्योंकि वर्तमान मुख्य प्रायोजक वीवो मोबाइल का करार भी इस साल खत्म हो रहा है।
पेप्सी 2013 में पांच सालों के लिए आईपीएल का मुख्य प्रायोजक बना था और इसके लिए उसने 393.8 करोड़ रुपए दिए थे, लेकिन आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग से हुई बदनामी के कारण उसने तीन साल में ही इस लीग से हटने का फैसला किया था। इसके बाद वीवो दो साल के लिए आईपीएल का प्रायोजक बना। पेप्सी से पहले डीएलएफ ने शुरुआती पांच साल के लिए मुख्य प्रायोजक के तौर पर 200 करोड़ रुपए चुकाए थे। मुख्य प्रायोजक से भी बोर्ड को पांच साल के लिए 500 करोड़ रुपए से ज्यादा मिलने की उम्मीद है। सीओए को भी बैठक में शामिल होने का न्योता दिया गया है, क्योंकि बीसीसीआईइसके लिए उनकी सहमति भी चाहता है।