राशन की दुकानों पर दिखाई देगी सब्सिडी की सूची

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नई दिल्ली - रियायती दर की दुकानों पर अब केंद्र व राज्य सरकारों की सब्सिडी का ब्योरा देना होगा। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को यह निर्देश दिया है कि वे अपने यहां इसे सख्ती से लागू करें ताकि उपभोक्ताओं को सस्ता अनाज मुहैया कराने वाली सरकार के बारे में जानकारी मिल सके। केंद्र सरकार ने यह कदम राज्यों की ओर से सस्ता अनाज देने का दावा करने के बाद उठाया गया है। इससे गलतबयानी करने वाली राज्य सरकारों का खुलासा हो सकेगा।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि राज्य सरकारों को राशन की दुकानों (पीडीएस) पर सूची लगानी होगी, जिसमें अनाज पर दी जाने वाली सब्सिडी में केंद्र व राज्यों की हिस्सेदारी का विवरण दर्ज होगा। सब्सिडी का कोई भार उठाये बगैर ही ज्यादातर राज्य गलतबयानी कर सस्ते अनाज का श्रेय लूटने में आगे हैं। खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन की दुकानों पर गेहूं दो रुपये और चावल तीन रुपये किलो की रियायती दर पर मुहैया कराया जा रहा है। पासवान राज्यों की इस हरकत को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहा कि खाद्य सब्सिडी का पूरा बोझ केंद्र सरकार उठा रही है। यह लगभग सवा लाख करोड़ रुपये है। अब हमारे मंत्रलय ने राशन दुकानों पर सब्सिडी का चार्ट लगाने का निर्देश जारी किया है।
केंद्र फिलहाल गेहूं पर 22 रुपये और चावल पर 29.64 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी का बोझ वहन करता है। तमिलनाडु जैसे एक या दो राज्यों को छोड़कर शेष कोई राज्य अपने खजाने से धेला भर खाद्य सब्सिडी में खर्च नहीं करता है। इन राज्यों को लोगों की जागरूकता के लिए राशन दुकानों पर बोर्ड लगाना जरूरी हो गया है। बिहार में गरीब सोचते हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दो रुपये और तीन रुपये प्रति किलो की दर पर अनाज दे रहे हैं। लोगों को यह मालूम नहीं है कि अत्यंत सस्ता अनाज केंद्र की ओर से मुहैया कराया जा रहा है। केंद्र सरकार के खजाने पर सालाना खाद्य सब्सिडी बिल एक लाख करोड़ रुपए से अधिक का है।

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