कानपुर -एक बार नोटबंदी का झटका खाने के बाद भी काले धन के खिलाड़ी बाज नहीं आ रहे हैं। बाजार से दिनोंदिन 2000 रुपये के नोट गायब होते जा रहे हैं। अगर पचास फीसद से ज्यादा दो हजार के नोट सिस्टम से गायब हुए तो फिर से पुरानी दवाई दी जा सकती है। हालांकि ऐसा कोई कदम उठाने से पहले हर स्तर से यह ताकीद कर लिया जाएगा कि सिस्टम से गायब हुए बड़े नोटों की वापसी की संभावना खत्म हो चुकी है।
नोटबंदी के बाद अब तक रिजर्व बैंक की ओर से जारी हुए रुपये और बंद हो चुके नोटों की वापसी की जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। जाहिर है कि फिर से नोटबंदी जैसा कोई फैसला बिना किसी ठोस आकलन के संभव ही नहीं है। लेकिन कानपुर के रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय के आंकड़ों ने थोड़ी हलचल मचा दी है।
कानपुर में नवंबर 2016 में 2000 रुपये के नोट जारी हुए थे। तब से लेकर आरबीआइ अभी तक कानपुर की सभी करेंसी चेस्ट को करीब 6,000 करोड़ रुपये मूल्य के दो हजार रुपये के नोट जारी कर चुका है। मार्च तक बैंकों में 2000 रुपये के नोट जमा होने की गति ठीक रही लेकिन अप्रैल में बाजार से दो हजार रुपये के नोट गायब होने लगे। इसके बाद बैंक में दस, बीस, 50 और 100 रुपये के नोट अधिक जमा हो रहे हैं। हालांकि वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि ये आंकड़े सिर्फ एक क्षेत्र के हैं। देश के बाकी क्षेत्रों में भी ट्रेंड देखने पर स्थिति स्पष्ट हो सकती है।
अप्रैल में 35 फीसद कम आए दो हजार के नोट
नोट डंप होने की सूचना पर सरकार, आरबीआइ और एफआइयू (फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट) के कान खड़े हो गए हैं। आरबीआइ करेंसी चेस्टों के जरिये नोटों का आंकड़ा मंगा रहा है। सूत्रों का कहना है कि अप्रैल महीने में मंगाए गए आंकड़े चौंकाने वाले हैं। कानपुर क्षेत्र की ही बात करें तो बाजार में करीब 35 फीसद दो हजार रुपये के नोट डंप हैं। अब बैंकों से जमा होने वाले नोटों का विवरण साप्ताहिक आधार पर मंगाया जा रहा है।
नोट-सिक्के सभी का हिसाब
बैंक नकदी जमा होने की पर्ची में हर सिक्के और नोट का रिकॉर्ड रखते हैं और शाम को करेंसी चेस्ट के सर्वर पर यह आंकड़ा दर्ज की जाती है। नोटबंदी के दौरान इसका रिकॉर्ड रोज आरबीआइ को भेजा जा रहा था। 30 दिसंबर के बाद रुटीन में आंकड़े जा रहे थे। अब फिर बैंक में जमा होने वाले 2000 रुपये, 500 रुपये, 100 रुपये, 50 रुपये, 20 रुपये, 10 रुपये, पांच रुपये, दो रुपये, एक रुपये और सिक्कों का हिसाब-किताब लिखा जा रहा है। आरबीआइ बैंक शाखा, करेंसी चेस्ट और सेंट्रल सर्वर तीनों से रिकॉर्ड ले रही है।