मेरे जमीन पर कुकरेजा की गिद्दनजर- नारायण

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बाप-बेटे करते हैं बुरे काम, नकली शराब व क्रिकेट सट्टे से जुड़े हुए हैं तार- नारायण


उल्हासनगर:
उल्हासनगर में सिंधी समुदाय के लोग भारत-पाक के विभाजन के बाद आकर बिना सरकारी सुविधा के रहकर खुद का व परिवार का गुजर बसर कर, अपनी मेहनत और लगन से भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को अचंभित कर दिया| वहीं उल्हासनगर और आसपास के परिसर जो जंगल के रुप में मिलेट्री का था, उसका विकास किया| इस बीच कई चालाक लोग भी उभरे, जिनका धंधा था भोले-भाले गरीब लोगों की जमीन हड़प करना और कुछ शासकीय जमीनों के जाली पेपर बनाकर लाखों-करोड़ों में बेचना| ऐसे कई गैंग यहां पर उस वक्त से ही अपने पैसे के पावर से कुछ भ्रष्ट अधिकारियों से मिलकर यह धंधा करते आए हैं| इसका यह सबूत है कि जाली पेपर बनाने वाले इतने महिर हैं कि कुछ मरे हुए इंसानों के नाम की जमीन अपने नाम करने तो कभी शासकीय जमीनें तक अपने नाम ऐसी सफाई से करते हैं कि खुद मरे हुए आदमी को ऊपर से आकर गवाही देने को बोला जाता है कि तुम नीचे आकर गवाही दो कि जमीन तुम्हारी है या नहीं| वहीं शासकीय जमीनें तक यह भूमाफिया खा चुके हैं| खुद सरकार का अपनी जमीन होने के कागजात उनके बनाए कागजातों के सामने पानी भरते नजर आते हैं|
आज उन जमीनों की कीमत लाखों-करोड़ों में जा पहुंची है तो खुलेआम कई लोग अपने पावर और ताकत लगाकर कई जमीनें अपने नाम करने को अपनी आन-शान समझने लगे हैं| यहां तक कि पारिवारिक रिश्तों का दम भरने वाले एक दूसरे के खून के प्यासे बनते नजर आ रहे हैं|
ऐसा ही एक वाक्या देखने को मिला उल्हासनगर-५ के रहने वाले केबल व्यवसायी नारायण विसंदनानी नाम के व्यापारी के साथ| पेशे से केबल व्यवसाय करने वाले नारायण जमीन जायदाद में अपने कुछ कमाई का कुछ हिस्सा लगाकर कुछ पैसे कमाने का काम भी करते हैं| नारायण के कहने के अनुसार, पिछले बीस-तीस साल से पूर्व नगरसेवक प्रीतम कुकरेजा के परिवार से जुड़े होने के नाते कुछ प्रतिशत ब्याज से प्रीतम से पैसे लेते थे और ब्याज सहित लौटा देते थे| मगर कुछ जगह पर जमीनों में ज्यादा मुनाफा मिलने से प्रीतम की नीयत खराब हो गई| साथ ही जिस जमीन में मुनाफा ना मिला तो अपने ब्याज को नाटक कर मेरा जोंक की तरह खून पीता रहा| इसके एवज में मुझसे लाखों रुपए जोंक की तरह चूसा है| मगर मैं कुछ अपने रिश्तों की परवाह कर सुनता और चुप रहता रहा| क्योंकि राजनीतिक और स्थानीय विठ्ठलवाड़ी पुलिस स्टेशन पर दबदबे के चलते मैं एक अक्षर तक नहीं निकाल सका, उल्टा सहता गया| ऐसा कर-कर मेरी खुद की माली हालत खराब हो गई, मैं चुप रहा मगर अचानक मुझे मालूम पड़ा कि मेरे और मेरे पार्टनर द्वारा दस साल पहले खरीदी गई जमीन को मैंने अपने तंगहाली दूर करने के लिए बेचने के लिए बाजार में रखी थी| उसके नकली पेपर बनाकर प्रीतम ने अपना २५% हिस्सा दिखाया| मैं यह नकली कागजात देखकर दंग रह गया, साथ ही मैंने जब आगे जांच पड़ताल की तो पता चला कि जाली पेपर बनाने में माहिर कुकरेजा ने अपने कुछ साथी के साथ कागजात बनाकर मुझसे मेरी जमीन का हिस्सा ऐंठना चाहता है| मेरे मन में पहले डर था तो मैं चुप रहता था मगर अब मेरे पास कुछ नहीं बचा सो मैंने अपना विरोध दर्ज किया, जिससे बौखलाए कुकरेजा ने मेरे खिलाफ विठ्ठलवाड़ी पुलिस स्टेशन के अधिकारी को भ्रमित कर झूठा मामला दर्ज करने की कोशिश की मगर पुलिस अधिकारी बिना डर लालच के मामले को समझते हुए मेरा पक्ष सुनकर झूठा मामला दर्ज होने से बचा लिया| मगर वो यहां तक नहीं ठहरा, हर रोज नए-नए दांव-पेंच खेल कभी मेरे परिवार को डराकर और कभी मेरे परिवार से नजदीकियांं दिखाकर मानसिक व शारीरिक दबाव बनाकर राजनीति कर रहा है| यह परिवार मुझे किसी भी तरह की हानि पहुंचा सकता है, क्योंकि इस परिवार का इतिहास रहा है कि जिसके साथ ही कुकरेजा का मतभेद रहा है, उसको वो किसी ना किसी बहाने किसी ना किसी मामले में उलझाकर किसी भी कानूनी फेरे में अटका देता है| कई साल पहले किसी जमीन के चक्कर में एक भवन व्यवसायी के ऊपर गुजरात में मामला दर्ज हुआ| उस मामले को भी उस व्यापारी से सभी जगहों पर एक गैंग के ऊपर आरोप लगाया| वहीं व्यवसायी के ऊपर गोवा में झूठा बलात्कार का आरोप लगाया गया और उस व्यवसायी ने जब न्यायालय में अर्ज किया तो न्यायालय के आदेश पर गोवा पुलिस ने झूठे केस का भंडाफोड़ किया, जिसमें पुलिस ने जांच में पाया कि प्रीतम कुकरेजा व उसका बड़ा भाई जो करा़ेडों के भूखंडों का श्रीखंड खा चुके पुरन कुकरेजा का नाम भी जालसाजी और झूठे मामला दर्ज करने का मामला उजागर हुआ|
नारायण की मानी जाए तो प्रीतम कुकरेजा उसको किसी भी हद तक तकलीफ पहुंचा सकता है, क्योंकि प्रीतम के रिश्ते पुलिस और गुंडे किस्म के लोगों से ज्यादा है कि इतने बड़े व्यवसायी पर झूठा मामला दर्ज करवा सकते हैं तो मेरी क्या विसात| यही नहीं, नारायण ने प्रीतम कुकरेजा और उसके बेटे के खिलाफ पुलिस विभाग से शिकायत की है कि प्रीतम और उसका बेटा राजेश कुकरेजा नकली शराब का कारोबार करते हैं, साथ ही राजेश कुकरेजा क्रिकेट सट्टेबाजों को फाइनेंस करते हैं| नारायण की माने तो राजेश के रिश्ते अंडरवर्ल्ड के लोगों से भी हैं|
हिंदमाता मिरर ने जब नारायण द्वारा लगाए गए आरोपों के बारे में कुकरेजा बंधुओं से संपर्क किया तो प्रीतम कुकरेजा के बड़े भाई पूरन कुकरेजा ने दूरध्वनि पर वार्तालाप कर बताया कि नारायण से हमारे पारिवारिक संबंध हैं| कुछ नाराजगी जरुर है, जिसको हम आपस में बैठकर सुलझा लेंगे| मैं अभी अस्पताल में हूं, यह बोलकर पूरन कुकरेजा ने संबंध विच्छेद कर दिया|
पाठकों, यहां हम आपको बता दें कि कुकरेजा के किए हुए कामों की लिस्ट बहुत बड़ी है, जो एक अंक में पूरी नहीं हो सकती| इसके लिए हमें आपसे खेद है| कल फिर बाकी खबर अगले अंक में प्रकाशित करेंगे|
कैसे जुड़े हुए हैं राजेश के तार अंडरवर्ल्ड से? किसकी सुपारी की रकम पहुंचाई थी राजेश ने विदेशों में हवाला के जरिए? कौन से सट्टेबाज से हैं किसके संबंध, कल पढ़िए|
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