आम जनता के 35 करोड़ खेमानी नाले में और खेमानी नाले का पानी उल्हास नदी में...
उल्हासनगर - उल्हास नदी में खेमानी नाले का पानी सीधे ही बिना ट्रीटमेंट के भेजा जाता था। तीव्र आलोचना, आंदोलन और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद उल्हासनगर महानगर पालिका ने 40 करोड़ रुपये की लागत से 16 एमएलडी का पंपिंग स्टेशन तो बनाया, लेकिन बावजुद इसके आज भी खेमानी नाले का पानी सीधे उल्हास नदी में जाने के चित्र सामने आए हैं। प्रशासन द्वारा उपाययोजना करते हुए खेमानी नाले पर सीमेंट की संरक्षक दीवार खड़ी की जा चुकी थी, जिससे नाले का पानी नदी में ना जाए। साथ ही नाले से बहकर आया सैकड़ों टन कचरा व प्लास्टिक की पन्नियां पम्पिंग स्टेशन में ना फंसे इसलिए नाले पर मेकेनिकल जाली भी बिठाई गई थी।
आज 1 मार्च 2020 के दिन खेमानी नाले का दूषित मलमूत्र युक्त पानी सीधे उल्हास नदी में जा रहा है। आपको बता दें कि यहीं से उल्हासनगर, कल्याण, डोंबिवली, भिवंडी नगरपालिकाओं के 50 लाख निवासियों को जलापूर्ति होती है। लोग इसी नदी का पानी पीते हैं। उमनपा द्वारा कोई ठोस उपाययोजना नही की गई तो जनता के 35 करोड़ रुपए नाली में तो जाएंगे ही, नाले का पानी उल्हास नदी में जाने से 6 शहरों के 50 लाख लोगों को मलमूत्र का पानी पीना पड़ेगा। इसीलिए शहर के बुद्धिजीवी वर्ग ने लोगों से उबालकर पानी पीने की अपील की है।