उल्हासनगर में स्वास्थ्यकर्मी और पुलिसकर्मी के बीच हुई कहासुनी, कई डॉक्टर्स पहुंचे सेंट्रल हॉस्पिटल
उल्हासनगर- सोमवार सुबह को सेंट्रल पुलिस सेंट्रल हॉस्पिटल में उल्हासनगर में रह रहे प्रवासी लोगों को अपने गांव जाने के लिए अपना हेल्थ चेकअप करवाने आने से उल्हासनगर के सेंट्रल हॉस्पिटल में सैकड़ों की तादाद में भीड़ इकट्ठा होने की वजह से लोकल पुलिस स्टेशन को नाको चने चबाने पड़े। ऊपर से वहां लोगों की भीड़ को कंट्रोल करने और सोशल डिस्टेंस का पालन करने के लिए सेंट्रल पुलिस स्टेशन के एपीआई खातिब और उनकी पूरी टीम सुबह 8:00 बजे से ही लगी हुई थी कि अचानक एक मोटरसाइकिल लिए हुए एक युवक सेंट्रल हॉस्पिटल में स्पीड से गाड़ी लेकर गेट के बीच पार्क करके जाने लगा तो एपीआई खातिब के पूछने पर कि आप कौन हो, यहां क्यों आए हो, क्या काम है और गाड़ी बीच गेट पर क्यूँ पार्क किया है, इसका जवाब देने की बजाय वह युवक उल्टा पुलिस से ही कहासुनी करने लगा। पुलिस ने जब वहां से गाड़ी हटाने को कहा तो पुलिस को ही उल्टा उल्टा सुनाने लगा। ड्यूटी पर तैनात वॉचमैन ने जब पुलिस को बताया कि यह एक काउंसलर (स्वास्थ्यकर्मी) है तो पुलिस अधिकारी खातिब ने उनको कहा कि एक तो आप सिविल ड्रेस में है ऊपर से आपके पास आईडी नहीं है और आप गाड़ी बीच गेट पर लगाएंगे तो लोगों को आने-जाने में तकलीफ होगी, इतना सुनते ही वाघ नामक काउंसलर भड़क गया और और मारामारी पर उतर आया। जब उस काउंसलर ने गाड़ी नहीं हटाई तो पुलिस ने वाघ नामक काउंसलर को ऐसे रूडली बात ना करने और पुलिस स्टेशन चलने को कहा जिस पर काउंसलर और भड़क गया। काफी बहस के बाद काउंसलर और पुलिस अधिकारी सेंट्रल पुलिस स्टेशन पहुंचे जहां एपीआई खातिब और उनकी टीम ने पूरी कहानी अपने वरिष्ठ अधिकारी को सुनाई तो वरिष्ठ अधिकारी ने दोनों को समझाया कि इस महामारी के चलते हमारे शहर के लोग पुलिस और डॉक्टर के ऊपर आस लगाए हुए हैं और हम दोनों ही ऐसी बातों पर लड़ेंगे तो समाज में क्या मैसेज आएगा? इस बात को दिल से समझते हुए पुलिस अधिकारी खातिब, जो पहले केस रजिस्टर करने की सोच रहे थे, उन्होंने केस दर्ज न करने की बात मानी और काउंसलर वाघ ने खातिब से माफी मांगी और मामला निपट गया और दोनों अपने अपने ड्यूटी पर चले गए। मगर आज अचानक से कुछ डॉक्टर पुलिस स्टेशन में आकर कल हुए मामले को तूल देते हुए अपना विरोध दर्ज करवाया।
मामला चाहे जो भी हो गलती किसी की भी हो लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि 2 कोरोना योद्धा अगर ऐसे मामूली बात पर एक दूसरे से लड़ेंगे तो कैसे इस जानलेवा वायरस से आम लोगों को बचाएंगे?
पहले से ही पुलिस डिपार्टमेंट 40-45 दिन से दिन-रात एक किए अपने घर-परिवार को अकेले छोड़कर अपनी जान की की परवाह न करके 16 घंटे ड्यूटी कर रही है। ऊपर से ऐसी घटनाएं सबका मनोबल तोड़ देती है। अब उस पुलिस अधिकारी की क्या गलती जो डॉक्टर की गाड़ी साइड में लगाने की बात कर रहे थे। इस घड़ी में पुलिस और डॉक्टर को अपनी निजी विरोध से ऊपर उठकर समाज के लिए सोच कर मामले को खत्म करना चाहिए ना कि एक दूसरे के ऊपर आरोप लगाना चाहिए।