ठाणे: कोरोना वायरस के सामने आम आदमी के साथ दिग्गज मंत्रियों के भी पसीने छूट रहे हैं. मजबूत तेवर वाले गृह निर्माण मंत्री जीतेन्द्र आह्वाड को भी जब कोरोना वायरस ने घेरा तो उनकी हालत ख़राब हो गई. कोरोना से जंग जीतने के बाद अपनी आपबीती बताते हुए आह्वाड ने कहा कि मेरी हालत देख कर डॉक्टरों ने मेरी बेटी को बता दिया था कि अब मेरे बचने की सिर्फ 30 फीसदी उम्मीद है.
संक्रमित होने की वजह का खुलासा खुद आव्हाड ने किया। कहा, “बहुत ज्यादा आत्मविश्वास की वजह से मैं संक्रमित हुआ। 23 से 26 अप्रैल के बीच का वक्त मेरे जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण था। मेरे परिवार को बता दिया गया था कि मेरे बचने की कम ही संभावना है। मैं अपनी जिंदगी के लिए काफी चिंतित था। हर क्षण मैंने जीवन और मौत के बारे में सोच कर गुजारा।”
आव्हाड के मुताबिक, जब वो आईसीयू में थे तो उन्होंने एक नोट भी लिखकर भेजा। इसमे लिखा कि अगर उन्हें कुछ होता है तो संपत्ति बेटी को दे दी जाए। उन्होंने कहा, ‘‘इस बीमारी ने मुझे यह महसूस कराया कि मैं अपने स्वास्थ्य और जीवनशैली को लेकर बहुत लापरवाह हूं। मैं राजनीति से बाहर अपना जीवन ही भूल गया था। अब यह अहसास हुआ कि मुझे अधिक अनुशासित होना चाहिए।”
आव्हाड ने कहा, “मुझे नहीं पता था कि मुझे कोरोना है। क्योंकि, जब मैं अस्पताल गया, तो मैं बेहोश था। मुझे नहीं पता कि उसके बाद क्या हुआ, क्या जांच की गई। लेकिन, जब मैं होश में आया तो मुझे एक खाने की प्लेट दी गई। इस पर मेरा नाम लिखा हुआ था। मैं कोरोना के लिए तैयार हुए एक आईसीयू वॉर्ड में था। तब मुझे पता लगा कि मैं संक्रमित हूं।”
उन्होंने कहा, “हॉस्पिटल जाने से पहले मुझे कोई समस्या नहीं थी। मुझे कभी-कभी ज्यादा थकान लगती थी। बेटी ने कहा कि मुझे डॉक्टर के पास जाना चाहिए। लेकिन मैंने उन्हें कहा कि यह बस थकान है। लेकिन, थकान भी कोरोना का एक लक्षण है। यह मुझे बाद में पता चला। अगर आपको थकान लगे तो आपको फौरन हॉस्पिटल में भर्ती होना चाहिए।”
आपको बता दें कि आव्हाड 19 अप्रैल को हॉस्पिटल में एडमिट हुए थे। कुछ दिन बाद उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इलाज के बाद 10 मई को वो डिस्चार्ज हुए थे। इसके पहले उनके कुछ सुरक्षाकर्मी संक्रमित पाए गए थे।