कारोबारी ने एसपी से बताया था जान को ख़तरा, गोली लगने से मौत

hindmata mirror
0

बदतर क़ानून व्यवस्था के लिए चर्चा बटोर रहे उत्तर प्रदेश के माथे पर एक और दाग लगा है। प्रदेश का एक करोड़पति व्यापारी कुछ दिन पहले अपना वीडियो जारी कर बताता है कि उसके जिले का पुलिस अधीक्षक उससे रंगदारी मांग रहा है और उसकी जान को ख़तरा है। वीडियो जारी करने के दो दिन बाद ही संदिग्ध परिस्थितियों में व्यापारी के गले में गोली लग गई थी और रविवार रात को उनकी मौत हो गई। इस घटना के वक्त व्यापारी अपनी ऑडी कार में बैठे थे और यह घटना महोबा के कवरई थाना क्षेत्र में हुई थी।
महोबा के रहने वाले इंद्रकांत त्रिपाठी नाम के एक नामी व्यापारी ने वीडियो जारी कर कहा था, ‘महोबा के पुलिस अधीक्षक मणिलाल पाटीदार ने मुझसे एक हफ़्ते के अंदर 6 लाख की व्यवस्था करने को कहा था और यह भी कहा था कि वरना एक हफ़्ते के बाद तुम अपने और अपने परिवार पर लगे फ़र्जी मुक़दमों की ग़िनती कर लेना।’ इंद्रकांत त्रिपाठी विस्फोटक के कारोबारी थे।
व्यापारी ने वीडियो में कहा था, ‘मैंने पुलिस अधीक्षक से कहा कि मेरा काम भी सही नहीं चल रहा है, मैं व्यवस्था नहीं कर सकता, आपको जो करना है कर लेना। पुलिस अधीक्षक ने मुझसे कहा कि अगर तुमने किसी नेता से राजनीति करवाई या मुझे फ़ोन करवाया तो मैं किसी भी वक़्त तुम्हारी हत्या करवा दूंगा।’
त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील कर कहा था कि इस केस की जांच करवाकर महोबा के पुलिस अधीक्षक को हटाएं क्योंकि अगर उनकी हत्या होती है तो इसके जिम्मेदार यही पुलिस अफ़सर होंगे। वीडियो वायरल होने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने मणिलाल पाटीदार को निलंबित कर दिया था। कारोबारी की मौत के बाद महोबा के एसपी और दो अन्य पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ हत्या के प्रयास और रंगदारी का मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है।

बुंदेलखंड में माफ़ियाओं का बड़ा नेटवर्क है और ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि राज्य सरकार के संरक्षण में यहां कई तरह के अवैध काम चलते हैं, जिनमें राजनेता भी शामिल होते हैं।
इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत के बाद उनके भाई ने कानपुर में पत्रकारों से कहा कि मणिलाल पाटीदार को तुरंत गिरफ़्तार किया जाना चाहिए। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने घटना को लेकर ट्वीट कर कहा, ‘इंद्रकात त्रिपाठी की हत्या ने साबित कर दिया है कि शासन की ‘ठोको नीति’, पुलिस-प्रशासन के ‘फ़ेक एनकाउंटर’, विपक्षी राजनीतिज्ञों के ऊपर ‘झूठे मुक़दमों’ की भाजपाई नीति से उप्र किस गर्त में चला गया है।


बलात्कार, अपहरण, हत्या की वारदातों से सहमे उत्तर प्रदेश में अब आए दिन ऐसी घटनाएं होती हैं। लेकिन महोबा की यह घटना इसलिए हैरान करने वाली है क्योंकि जब एक पुलिस अधीक्षक पर रंगदारी मांगने का आरोप लगता है और हत्या की आशंका जताने के बाद संदिग्ध अवस्था में नामी कारोबारी के गले में गोली लग जाती है और उसकी मौत हो जाती है, तो एक छोटा व्यापारी तो न तो किसी तक अपनी आवाज़ पहुंचा सकता है और न कोई उसकी सुनने वाला है।
जिले में एसपी के आला ओहदे पर बैठे अफ़सर पर जब यह आरोप लग रहे हैं तो क़ानून व्यवस्था का क्या हाल उत्तर प्रदेश में होगा, इस बारे में ज़्यादा कहने या लिखने की ज़रूरत ही नहीं है।
तीन पत्रकारों की हत्या बलिया जिले के फेफना कस्बे में कुछ दिन पहले सहारा समय चैनल के संवाददाता रतन सिंह को बदमाशों ने दौड़ा-दौड़ाकर लाठी-डंडों से पीटा और फिर सिर में तीन गोली मार कर हत्या कर दी। यूपी में बीते दो महीने में यह लगातार तीसरे पत्रकार की हत्या है। बीते जुलाई में ग़ाज़ियाबाद में बदमाशों ने अपनी भतीजियों के साथ छेड़खानी का विरोध करने पर पत्रकार विक्रम जोशी और उन्नाव में भू-माफियाओं के ख़िलाफ़ अभियान चलाने पर जून में पत्रकार शुभम तिवारी की हत्या कर दी थी।
Tags

Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)
6/grid1/Featured