लॉकडाउन के दौरान बिजली कंपनी ने आम आदमी का खून चूसा लेकिन मंत्रियों को नहीं भेजा बिजली बिल

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मुंबई। लॉकडाउन के दौरान जहां आम बिजली उपभोक्ताओं को पहले की अपेक्षा ज्यादा बिल भेजे गए वहीं दूसरी तरफ मुंबई में बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनी बेस्ट ने राज्य के मंत्रियों को पिछले 5 महीनों के बिजली बिल ही नहीं भेजे हैं। यह जानकारी सूचना अधिकार कानून (आरटीआई) से मिली है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने बीते मार्च, अप्रैल, मई, जून और जुलाई में राज्य के मंत्रियों के बंगलों के लिए भेजे जाने वाले बिजली बिलों के बारे में जानकारी मांगी थी। गलगली को लोक निर्माण विभाग के दक्षिण उप-विभाग द्वारा सूचित किया गया कि कोविड-19 महामारी के लॉकडाउन के कारण, इस कार्यालय में बिजली का बिल नहीं मिला।

17 बंगलों में से सिर्फ 5 बंगले का जुलाई महीने का बिजली का बिल प्राप्त हुआ है। गलगली को उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों में महाराष्ट्र विधान परिषद की उपसभापति डॉ नीलम गोर्हे और मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार अजोय मेहता के अलावा राज्य के 15 मंत्रियों सहित 17 बंगलों की जानकारी है।इन 15बंगलों में से 5 मंत्रियों के बंगलों को पिछले 5 महीनों से बिजली का बिल प्राप्त नही हुआ है। इनके नाम दादाजी भुसे, केसी पाडवी, अमित देशमुख, हसन मुश्रीफ और संजय राठौड है। जबकि पिछले4 महीनों से डॉ जितेंद्र आव्हाड, आदित्य ठाकरे, धनंजय मुंडे, विजय वडेट्टीवार, उदय सामंत, वर्षा गायकवाड़, गुलाबराव पाटिल, संदीप भुमरे, एड अनिल परब, बालासाहेब पाटिल सरकारी बंगलों के बिजली नहीं भेजे गए।
गलगली के अनुसारराज्य भर में लॉकडाउन के कारण बिजली बिल के बारे में बड़ी संख्या में शिकायतें मिली हैं। दूसरी ओरमंत्रियों के बंगलों पर कोई बिजली बिल नहीं भेजा गया। अगर बिजली का बिल समय पर नहीं मिलता है, तो ग्राहकों को अपने दम पर ऑनलाइन जाकर बिजली बिल को प्राप्त कर भुगतान करना होता है लेकिन मुंबई की बेस्ट बिजली कंपनी ने बिल न भेजकर अपरोक्ष तौर पर मंत्रियों पर मेहरबानी करने का काम किया है। श्री गलगली ने कहा कि सरकार ने आम आदमी को बिजली बिल में राहत देने की बात कही थी लेकिन वह वादा भी अभी तक पूरा नहीं हो सका। 

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