कोरोना महामारी आने के बाद अब लोगों में हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर भी काफी अवेयरनेस आई है। जनरल इंश्योरेंस काउंसिल और इंश्योरेंस कंपनियों से मिली जानकारी के अनुसार अप्रैल से अगस्त के बीच देश में 22,903 करोड़ रुपए की हेल्थ पॉलिसी बेची गईं, जबकि पिछले साल 20,250 करोड़ रुपए की हेल्थ बीमा पॉलिसी बेची गईं थीं।
इसी तरह कोरोना आने के बाद उसके ट्रीटमेंट के लिए देशभर से 3,300 करोड़ रुपए के कुल 2.07 लाख क्लेम किए गए। अभी तक किए गए क्लेम में से इंश्योरेंस कंपनियों द्वारा 1.30 लाख क्लेम के लिए 1,260 करोड़ रुपए मंज़ूर हो चुके हैं। मणिपाल सिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस के चीफ डिस्ट्रीब्यूशन ऑफिसर शशांक चापेकर के अनुसार इस सेगमेंट में 23% की वृद्धि देखने को मिली है। भारत में 32 जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां है, जो हेल्थ बीमा बेचती हैं।
कोरोना के कुल मरीजों में से 5.61% ने क्लेम किया
31 अगस्त तक देशभर से 2.07 लाख लोगों द्वारा कोरोना ट्रीटमेंट के लिए क्लेम किया गया। अगस्त के अंत तक में भारत में कोविड-19 के कुल 36.87 लाख मामले दर्ज हुए थे। इस हिसाब से कोरोना के कुल मरीजों में से 5.61% लोगों ने क्लेम किए हैं। क्लेम की औसत रकम 1.59 लाख रुपए होती है।
कोरोना के बाद लोगों के दृष्टिकोण में बदलाव आया
केयर हेल्थ इंश्योरेंस के प्रोडक्ट्स और बिजनेस प्रोसेस के हेड आशुतोष श्रोतिया बताते हैं कि एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 35% लोगों के पास किसी न किसी रूप में (ऑफिस का या खुद का) हेल्थ इंश्योरेंस है। हालांकि, अभी तक लोगों को हेल्थ केयर बीमा पर खर्च करना गैर-जरूरी लगता था और वे इसे प्राथमिकता में नहीं रखते थे।
लेकिन, कोरोना के बाद देश में हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर जागरूकता देखी जा रही है। अब लोग हेल्थ बीमा का महत्व स्वीकार करने लगे हैं, जो नए बिजनेस में रिफ्लेक्ट हुआ है।
हेल्थ इंश्योरेंस में युवाओं की रुचि बढ़ी
मैक्स बुपा हेल्थ इंश्योरेंस द्वारा कोरोना के बाद हेल्थ इंश्योरेंस की स्थिति को लेकर सर्वे किया गया था। इस सर्वे के अनुसार युवाओं की पहले हेल्थ इंश्योरेंस में खास रुचि नहीं होती थी, लेकिन कोविड-19 के बाद की स्थिति में 35 वर्ष तक के युवाओं में हेल्थ इंश्योरेंस लेने का आंकड़ा बढ़ा है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस ग्रुप में पहले 42% लोग इंश्योरेंस लेने के इच्छुक होते थे, जिसका आंकड़ा अब बढ़कर 60% हो गया है। गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे विकसित राज्यों में महिलाएं भी इसे लेकर जागरूक हो रही हैं। पहले 57% महिलाएं पर्सनल हेल्थ इंश्योरेंस लेती थीं, यह रेशियो अब बढ़ाकर 69% हो गया है।
लॉकडाउन में इंश्योरेंस की ऑनलाइन बिक्री ज्यादा हुई
इंश्योरेंस कंपनियों के अनुसार लॉकडाउन के दौरान फिजिकल डिस्ट्रीब्यूशन चैनल बंद थे। इससे नई हेल्थ पॉलिसी खरीदने और पॉलिसी के रिन्युअल के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का जबर्दस्त उपयोग किया गया। इतना ही नहीं, यह ट्रेंड अनलॉक होने के बाद भी यथावत रहा है। आज कई कंपनियां तो मोबाइल एप के जरिए बिजनेस कर रही हैं। कंपनियों के अनुसार लोग अब समझ रहे हैं कि हेल्थ इंश्योरेंस में निवेश करना लंबे समय तक उनके लिए आर्थिक रूप से बहुत फायदेमंद है।