(फाइल फोटो)
मुंबई: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को 25 हजार करोड़ के सहकारी बैंक घोटाले में बड़ी राहत मिली है. इकॉनमिक ऑफेंस विंग ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है. EOW ने रिपोर्ट में कहा है कि अजित पवार के खिलाफ लगे आरोपों में कोई सबूत नहीं मिले हैं, इस मामले में अजित पवार सहित सभी 69 लोगों को क्लीन चिट दे दी गई है.
EOW ने कहा, अजित पवार पर लगाए गए आरोप बेबुनियाद थे. इसमें क्रिमीनली कुछ गलत नहीं दिखा. हालांकि सिविल मामले में कुछ गड़बड़ी है, लेकिन यह आपराधिक मामला नहीं बनता.
क्या है पूरा मामला
मुंबई पुलिस ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) घोटाला मामले में बंबई हाई कोर्ट के निर्देशों पर अगस्त 2019 को एनसीपी के वरिष्ठ नेता अजित पवार समेत 69 लोंगो के खिलाफ मामला दर्ज किया था. एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार 10 नवम्बर 2010 से 26 सितम्बर 2014 तक उपमुख्यमंत्री रहे थे. अन्य आरोपियों में पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी के नेता जयंत पाटिल और राज्य के 34 जिलों में बैंक इकाई के अधिकारी शामिल हैं.
उन पर आईपीसी की धारा 420 (ठगी और बेईमानी), 409 (नौकरशाह या बैंकर, व्यवसायी या एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वासहनन), 406 (आपराधिक विश्वासहनन के लिए सजा), 465 (धोखाधड़ी के लिए सजा), 467 (मूल्यवान चीजों की धोखाधड़ी) और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र की सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
हाईकोर्ट के जस्टिस एस सी धर्माधिकारी और जस्टिस एस के शिंदे की पीठ ने 22 अगस्त को कहा था कि मामले में आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत हैं और ईओडब्ल्यू को पांच दिनों के अंदर मामला दर्ज करने के निर्देश दिए थे. दरअसल, महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक को 2007 और 2011 के बीच एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था जिसमें आरोपियों की कथित तौर पर मिलीभगत थी.