देवेंद्र फडणवीस ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार हर बात के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहरा देती है. मुझे तो लगता है कि अगर इनकी पत्नी से इनकी पिटाई हो जाए तो भी ये यही कहेंगे कि मोदी जी की वजह से ऐसा हुआ. इसका जवाब देते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कई लोग, कई तरह की बाते बोल रहे हैं. लेकिन इस पर मैं कुछ नहीं बोलूंगा. कुछ लोगों को पता ही नहीं होता है कि संघर्ष कब करना है और संवाद कब करना है.
मुख्यमंत्री कोल्हापुर के एक उद्घाटन कार्यक्रम में बोल रहे थे. उन्होंनेओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा द्वारा किए गए आंदोलन पर व्यंग करते हुए कहा, “न्याय और हक के लिए रास्तों पर उतरना अच्छी बात है. लेकिन संघर्ष कब करना है और संवाद कब करना है, यह जिनको पता होता है, वही असली नेता होता है. भीड़ बढ़ा कर ताकत दिखाई जा रही है. यह नहीं देखा जा रहा कि इससे कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा है.”हालांकि अपने बयान में उद्धव ठाकरे ने ने किसी का नाम नहीं लिया. लेकिन साथ ही यह भी कहा कि रिश्ते जबर्दस्ती खींचे नहीं जा सकते हैं. अब इस वाक्य का मतलब क्या था, इस पर राजनीति गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
उन्होंने इस कार्यक्रम में छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और सांसद संभाजी राजे की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर राज्य सरकार से संघर्ष छोड़ कर संवाद शुरू किया है. आरक्षण के मुद्दे पर मराठा समाज भी चाहता तो कुछ भी कर सकता था. आरक्षण के लिए हमें कुछ कानूनी अड़चनों से निपटना है. हमने कानून की लड़ाई छोड़ नहीं दी है. हमें समझदारी से समाज को दिशा दिखानी चाहिए. मराठा समाज के आरक्षण के लिए राज्य सरकार को जो-जो करना पड़ेगा वो किया जाएगा. सरकार किसी भी तरह से पीछे नहीं हटेगी. ऐसा वचन मैं आपको देता हूं. यह कह कर उद्धव ठाकरे ने अपना भाषण समाप्त किया. बता दें कि संभाजी राजे भाजपा के सांसद हैं.