कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) के सामने आने से एक बार फिर दुनिया में दहशत का माहौल है. दक्षिण अफ्रीका से आने वाले यात्रियों पर नज़रें रखी जा रही हैं. आने वाले समय में इस वेरिएंट के तेजी से फैलने की शंका जताई जा रही है. इस खतरे को ध्यान में रखते हुए आज (सोमवार, 29 नवंबर) सुबह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thackeray) ने राज्य मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई. इस बैठक में स्कूल शुरू करने को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई. यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे (Rajesh Tope) ने दी.
ऐसे में राज्य में स्कूल खुलने को लेकर कंफ्यूजन कायम है. बता दें कि 1 दिसंबर से राज्य में पहली क्लास से यानी प्राइमरी स्कूल खोले जाने के फैसले पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को अंतिम मुहर लगानी है. स्कूली शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड ने यह प्रस्ताव दिया था. इस पर स्वास्थ्य विभाग ने अपना ग्रीन सिग्नल दे दिया है. इसी बीच ओमिक्रॉन वेरिएंट के खतरे ने एक कंफ्यूजन पैदा कर दिया है. स्कूल खुलने में अभी दो दिन बाकी हैं. लेकिन आज कैबिनेट बैठक में इस पर कोई चर्चा ही नहीं हुई. इसलिए मुख्यमंत्री द्वारा इस फैसले पर मुहर भी नहीं लगी. ऐसे में स्कूल प्रशासन के लिए तैयारियों को लेकर असमंजसता बरकरार है. बच्चों के अभिभावकों को भी अंतिम फैसले का इंतज़ार है. फिलहाल गेंद स्वास्थ्य विभाग के कोर्ट में है.
स्कूल खोलने पर आखिरी फैसला अब स्वास्थ्य विभाग करेगा
नए वेरिएंट को लेकर आज के मंत्रिमंडलीय बैठक में जो चर्चा हुई उसकी जानकारी देते हुए राजेश टोपे ने कहा कि ज्यादातर चर्चा इन बिंदुओं पर रही कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के खतरे को लेकर राज्य में नए प्रतिबंधों और गाइडलाइंस को लेकर क्या किया जाए? कोरोना काल के प्रतिंबधों के बाद अर्थव्यवस्था काफी मुश्किल से पटरी पर आई है. ऐसे में अगर फिर प्रतिबंध लगाए गए तो अर्थव्यवस्था बैठ जाने के कगार पर भी आ सकती है. ऐसे में ज्यादातर मंत्रियों का सुझाव यह था कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले चर्चा करें, उसके बाद नई गाइडलाइंस तैयार की जाए.
स्कूल खोले जाने पर नियमों का पालन करवाना आसान नहीं
राजेश टोपे ने आगे कहा कि इस बैठक में स्कूल शुरू करने पर चर्चा ही नहीं हुई. इस बारे में अब निर्णय स्वास्थ्य विभाग करेगा. स्कूल शुरू करने से पहले कई तैयारियां करनी होंगी. कोरोना के नियमों का सख्ती से पालन करना होगा. सोशल डिस्टेंसिंग रखनी होगी. एक दूसरे से छह फुट का अतंर रखना होगा. मास्क लगाना जरूरी होगा. विद्यालय परिसर में कहीं भीड़ जमा ना हो, इसकी जिम्मेदारी स्कूल प्रशासन को उठानी होगी. स्कूल में अच्छी तरह से सेनिटाइजेशन की व्यवस्था करनी होगी. अगर कुछ विद्यार्थी स्कूल नहीं आ पा रहे हैं तो उनके लिए ऑनलाइन क्लासेस की व्यवस्था करनी होगी.
लेकिन दिक्कत यह है कि व्यावहारिक तौर पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाना आसान नहीं है. कुछ विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या बहुत ज्यादा है और स्कूल परिसर छोटा है. इन सब बातों का विचार करते हुए कई स्कूलों ने एक दिसंबर से स्कूल खोलने की तैयारी शुरू ही नहीं की है. इस बीच ओमिक्रॉन वेरिएंट के खतरे ने अभिभावकों के मन में भी शंकाएं पैदा कर दी हैं. ऐसे में अगले दो दिनों में राज्य सरकार क्या फैसले लेती है, इस पर सबकी नजरें होंगी.