कृषि कानून वापसी बिल दोनों सदनों में पास, लोकसभा कल सुबह 11 बजे तक स्थगित; किसान आंदोलन जारी रहेगा

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 संसद के विंटर सेशन के पहले दिन ही कृषि कानून वापसी बिल दोनों सदनों में पास हो गया है। यह बिल अब राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में यह विधेयक पेश किया। इसके तुरंत बाद ही विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष के हंगामे के बीच ही बिल राज्यसभा में पास हुआ। वहीं, लोकसभा कल सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है।

लोकसभा में विंटर सेशन शुरू होते ही कृषि मंत्री तोमर ने कृषि कानून वापसी का बिल पेश किया, जो पास भी हो गया। इसके बाद कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने कानून वापसी पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने विपक्ष से कहा कि आप चर्चा चाहते हैं तो हम वो करवाने को तैयार हैं, लेकिन विपक्ष ने नारेबाजी जारी रखी।

राहुल बोले- कहा था कि काले कानून वापस लेने पड़ेंगे
कांग्रेस के राहुल गांधी ने कहा, "हमने कहा था कि 3 काले कानूनों का वापस लेना पड़ेगा। हमें पता था कि 3-4 बड़े पूंजीपतियों की शक्ति हिंदुस्तान के किसानों के सामने खड़ी नहीं हो सकती और वही हुआ। काले कानूनों को रद्द करना पड़ा। ये किसानों की सफलता है। देश की सफलता है।"

गलती मानी है तो नुकसान की भरपाई करें
राहुल ने कहा कि ये तीन कानून किसानों और मजदूरों पर आक्रमण थे। किसानों और मजदूरों की कठिनाइयों की लिस्ट लंबी है, जो MSP और कर्ज माफी तक ही सीमित नहीं है। वे अभी भी मांग कर रहे हैं और हम उनका समर्थन करते हैं। आपने कहा प्रधानमंत्री ने माफी मांगी, इसका मतलब प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि उनकी गलती के कारण 700 लोग मारे गए, उनकी गलती से आंदोलन हुआ। अगर उन्होंने गलती मानी है तो नुकसान की भरपाई तो करनी पड़ेगी।

कांग्रेस नेता ने कहा, "जिस तरह से संसद में बिना किसी चर्चा के कानून रद्द किए गए, ये दिखाता है कि सरकार चर्चा से डरती है। सरकार जानती है कि उसने गलत काम किया है। 700 किसानों की मृत्यु और कानूनों को लागू करने के पीछे किसकी शक्ति थी, इस पर चर्चा होनी थी, लेकिन सरकार ने नहीं होने दी।"

टिकैत ने कहा- हमारा आंदोलन जारी रहेगा
इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा के लीडर राकेश टिकैत ने कहा, "कृषि कानून वापस हो चुके हैं, लेकिन अब MSP और किसानों की समस्याओं पर चर्चा होनी चाहिए। हम 4 दिसंबर को एक बैठक करेंगे और उसमें आंदोलन की दिशा तय की जाएगी। तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा।"

मोदी ने सत्र से पहले की थी शांति बनाए रखने की अपील
संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक दलों से शांति और मर्यादा बनाए रखने की अपील की। PM ने कहा कि संसद में सवाल हो, लेकिन शांति भी बनी रहे। हमारी पहचान इस बात से हो कि हमने सदन में कितने घंटे काम किया, न कि इस बात से कि सदन में किसने कितना जोर लगाकर संसद को रोका। प्रधानमंत्री का इशारा विपक्ष के हंगामे की तरफ था।

इधर, कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर कांग्रेस ने संसद परिसर में धरना दिया। इसमें कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल समेत पार्टी नेता शामिल हुए।

कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के पास प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस सांसद।
कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के पास प्रदर्शन करते हुए कांग्रेस सांसद।

कार्यवाही को लेकर मोदी के 4 संदेश
1. मोदी ने कहा, "हमने देखा कि पिछले दिनों संविधान दिवस भी नए संकल्प के साथ संविधान की आत्मा को चरितार्थ करने के लिए सभी के दायित्व के संबंध में पूरे देश ने संकल्प किया है। इन सबको देखते हुए हम चाहेंगे, देश भी चाहेगा, हर नागरिक चाहेगा कि ये संसद सत्र और आगे आने वाला सत्र आजादी के दीवानों की भावना और अमृत महोत्सव की भावना के लिहाज से संसद भी देश हित में चर्चा करे।"

2. प्रधानमंत्री ने कहा कि आशा करता हूं कि भविष्य में संसद को कैसा चलाया, कितना अच्छा योगदान किया इस तराजू पर तौला जाए। किसने कितना जोर लगाकर संसद को रोका, ये मानदंड नहीं होगा। ये मानदंड होगा कि संसद में कितने घंटे काम हुआ। सरकार हर मुद्दे पर चर्चा और सवाल का जवाब देने को तैयार है। संसद में सवाल भी हो और शांति भी हो।

3. "सरकार के खिलाफ, नीतियों के खिलाफ जितनी आवाज प्रखर होनी चाहिए वो हो, लेकिन संसद की गरिमा, स्पीकर की गरिमा, चेयर की गरिमा के विषय में हम वो आचरण करें, जो आने वाले दिनों में देश की युवा पीढ़ी के काम आए।"

4. उन्होंने कहा कि नए वैरिएंट की खबरें भी हमें और सतर्क, सजग करती हैं। मैं संसद के सभी साथियों को सतर्क रहने की प्रार्थना करता हूं। सत्र में देशहित के निर्णय तेजी से और मिलजुलकर करें।

संसद के शीतकालीन सत्र में सबकी निगाहें कृषि कानूनों की वापसी के बिल पर हैं। सरकार इसे सत्र के पहले दिन ही सदन में पेश करने जा रही है।
संसद के शीतकालीन सत्र में सबकी निगाहें कृषि कानूनों की वापसी के बिल पर हैं। सरकार इसे सत्र के पहले दिन ही सदन में पेश करने जा रही है।

सालभर से जारी कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन
तीनों कानून पिछले साल केंद्र सरकार ने पारित कराए थे, जिन्हें विपक्षी दलों से लेकर किसान संगठनों तक के अभूतपूर्व विरोध का सामना करना पड़ा। इन कानूनों की वापसी के लिए किसान संगठन पिछले एक साल से दिल्ली की सीमाओं को घेरे बैठे हैं। लगातार विरोध के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी।

इस सत्र में 25 बिल और पेश करेगी सरकार
केंद्र सरकार ने कृषि कानून वापसी बिल के अलावा 25 अन्य बिल भी 23 दिसंबर तक चलने वाले शीतकालीन संसदीय सत्र के दौरान पेश करने की तैयारी की हुई है, जिनमें सबसे अहम बिल प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने से जुड़ा हुआ है। हालांकि सरकार खुद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को डिजिटल करेंसी उतारने की इजाजत दे रही है।

इसके अलावा शीतकालीन सत्र के दौरान पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2019 पर संसद की जॉइंट कमेटी की रिपोर्ट भी सदन में टेबल की जाएगी।


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