महाराष्ट्र पुलिस के रिटायर्ड ACP शमशेर खान पठान ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। पठान ने परमबीर पर 26/11 के सबसे बड़े गुनहगार अजमल आमिर कसाब की मदद करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि कसाब के पास से मिले फोन को परमबीर ने अपने पास रख लिया था और उसे कभी जांच अधिकारियों को नहीं सौंपा। यह वही फोन था जिससे कसाब पाकिस्तान से निर्देश पा रहा था।
यही नहीं उन्होंने परमबीर पर कसाब के साथ आए कुछ अन्य आतंकियों और उनके हैंडलर्स की मदद करने और सबूत मिटाने के भी गंभीर आरोप लगाए हैं। पठान ने चार पन्नों की एक शिकायत मुंबई के मौजूदा पुलिस कमिश्नर को भेजी है।
पुलिस कमिश्नर को लिखी चिट्ठी में बयान किया पूरा मामला
मुंबई पुलिस कमिश्नर को लिखी शिकायती चिट्ठी में शमशेर खान ने तफसील से पूरे मामले का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि 2007 से 2011 के बीच वे पाईधूनी पुलिस स्टेशन में बतौर सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर तैनात थे। उनके बैचमेट एनआर माली बतौर सीनियर इंस्पेक्टर डीबी मार्ग पुलिस स्टेशन में कार्यरत थे। दोनों का अधिकार क्षेत्र मुंबई जोन-2 में आता है।
कसाब के पास से बरामद हुआ था मोबाइल फोन
पठान ने आगे बताया कि 26/11 के दिन अजमल आमिर कसाब को गिरगांव चौपाटी इलाके में पकड़ा गया था। इसकी जानकारी जब मुझे हुई तो मैंने अपने साथी एनआर माली से फोन पर बात की। बातचीत के दौरान माली ने मुझे बताया कि अजमल कसाब के पास से एक मोबाइल फोन भी बरामद हुआ है। साथ ही उन्होंने मुझे बताया कि यहां पर कई बड़े अधिकारी आए हुए हैं, जिसमें ATS के तत्कालीन चीफ परमबीर सिंह भी हैं। माली के मुताबिक, यह फोन कॉन्स्टेबल कांबले के पास था और उससे ATS के चीफ परमबीर सिंह ने लेकर अपने पास रख लिया था।
मोबाइल फोन इस मामले का सबसे अहम सबूत था। इसी फोन से कसाब पाकिस्तान से निर्देश पा रहा था। यह फोन उसके पाकिस्तान और हिन्दुस्तान में उनके हैंडलर के लिंक को सामने ला सकता था। इसलिए इस घटना के कुछ दिन बाद मैंने माली से फिर से बात की और इस मामले में कुछ और डीटेल निकालने की कोशिश की।
मोबाइल फोन दिया होता तो कइयों की जान बच जाती
माली ने बताया कि इस केस की जांच मुंबई क्राइम ब्रांच के पुलिस इंस्पेक्टर महालय कर रहे थे और परमबीर सिंह की ओर से यह मोबाइल फोन उन्हें सौंपा ही नहीं गया। इसके बाद हम दोनों ने हैरत जताते हुए यह भी पॉइंट उठाया की यह एक बड़ा सबूत था और अगर इसे नहीं सौंपा जाता है, तो यह देश के दुश्मनों की मदद करेगा। हमें संदेह था कि मोबाइल फोन में आतंकियों के पाकिस्तान और भारत में मौजूद उनके हैंडलर का नंबर होगा। शायद इस आतंकी साजिश में शामिल भारत के कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों के संपर्क नंबर भी उनके फोन में हो सकते थे। यदि फोन मुंबई क्राइम ब्रांच को उस समय दिया गया होता, तो शायद और अधिक महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा करने की स्थिति में हम होते, क्योंकि 26 तारीख के बाद भी आतंकी अपने हमले को जारी रखे हुए थे।
फोन बरामदगी की बात कभी सामने नहीं आई
पठान ने आगे बताया कि आतंकी हमले के कुछ दिन बाद मैंने फिर से सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर माली से बात की थी और उन्होंने मुझे बताया कि उन्होंने इस बाबत मुंबई दक्षिण क्षेत्र के आयुक्त वेंकटेशम से मुलाकात कर उनसे परमबीर से वह फोन लेने और उसे संबंधित जांच अधिकारी को जांच के लिए देने को कहा था। पठाना ने आगे कहा कि मैं इस केस का हिस्सा नहीं था, इसलिए मैंने इस केस में ज्यादा फॉलोअप नहीं लिया। हालांकि, यह बात सभी की जानकारी में है कि कसाब के पास से किसी भी फोन के बरामद होने की जानकारी किसी भी अदालत या जांच एजेंसी के सामने नहीं आई।