All India Marathi Sahitya Sammelan: देवेंद्र फडणवीस ने जताई नराजगी, कहा – एैसे साहित्य सम्मेलन में क्यों जाएं, जहां साहित्य के नाम पर हमारे आदर्शों को हो रहा अपमान

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Devendra Fadnavis expressed displeasure, said - why go to such a literary conference, where our ideals are being insulted in the name of literature

    नाशिक : मराठी सारस्वतों (Marathi Saraswats) का पूरा सम्मान और आदर है। मैं भी उनका अभिवादन करता हूं। लेकिन अगर हमारे आदर्शों का अपमान हो रहा हो तो क्या करें? यह सवाल विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) ने पूछा है। साहित्य सम्मेलन (Literary Conference) में वीर सावरकर (Veer Savarkar) को उचित सम्मान नहीं दिया गया।

    देवेंद्र फडणवीस ने उस पृष्ठभूमि पर ट्वीट कर यह सवाल पूछा है। मराठी सारस्वतों का पूरा सम्मान और आदर किया जाता है। मैं उनका अभिवादन करता हूं। अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन की भी बधाई, लेकिन। फडणवीस ने पूछा कि जहां हमारे आदर्शों का अपमान किया जा रहा है, हमारे पूर्वजों को उचित सम्मान नहीं दिया जाएगा, तो वहां जाकर भी क्या करें?

    सबके मन में सावरकर 

    इस शहर का नाम कुसुमाग्रज के नाम पर रखा गया, यह स्वागत योग्य है। लेकिन क्या हम स्वतंत्रता सेनानियों के नाम न देने की जिद के लिए सावरकर जैसे साहित्यकार को भूल जाएं। वैसे भी हमारा आदर्श, प्रेरणा, स्वातंत्र्यवीर सावरकर का व्यक्तित्व अमर है और सबके मन में है।

    नाम ना देने की जिद क्यों ?

    केवल स्वातंत्र्यवीर ही नहीं, साहित्य के सभी अंगों के परिपूर्ण कवी, नाटककार, उपन्यासकार, निबंधकार, पत्रलेखक, चरित्रलेखक, आत्मचरित्र लेखक, व्याकरणकार, पत्रकार, इतिहासकार और जिन्होंने मराठी को अनेक शब्द दिए, उनके नाम साहित्यनगरी को ना देने की जिद किस लिए? एैसा सवाल करते हुए फडणवीस ने पूछा कि नाशिक जो स्वातंत्र्यवीर की जन्मभूमी और कर्मभूमी भी है उनके नाम से क्यों नहीं रखा गया? 

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