महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेसी अशोक चव्हाण के दावे को राकांपा प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को खारिज कर दिया। पुणे में उन्होंने कहा कि अशोक चव्हाण जो कह रहे हैं मैने उसके बारे में कभी नहीं सुना। एनसीपी को कोई भी प्रस्ताव नहीं दिया गया अगर ऐसा कुछ होता तो मुझे पता होता। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर भी प्रतिक्रिया दी।
अशोक चव्हाण ने किया था ये दावा
दरअसल, हाल ही में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने दावा किया था कि शिवसेना नेता और तत्कालीन कैबिनेट मंत्री एकनाथ शिंदे ने प्रतिनिधिमंडल के साथ उनसे मुलाकात की थी। तब एकनाथ शिंदे ने शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा की सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने यह भी कहा कि शिंदे ने जब उनके सामने यह प्रस्ताव रखा था तब महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना के गठबंधन वाली सरकार थी और देवेंद्र फडणवीस राज्य के सीएम थे। अशोक चव्हाण ने यह भी कहा कि उन्होंने तब एकनाथ शिंदे से एनसीपी प्रमुख शरद पवार से भी इस बारे में चर्चा करने के लिए कहा था।
अशोक चव्हाण के दावे पर पवार की प्रतिक्रिया
उनके इस दावे पर पुणे में राकांपा प्रमुख ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी ने भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को ऐसा प्रस्ताव नहीं दिया था। उन्होंने कहा कि 'अगर एनसीपी को ऐसा प्रस्ताव दिया गया होता, तो मुझे इसके बारे में पता होता। हालांकि एनसीपी नेताओं को निर्णय लेने का अधिकार है, लेकिन कम से कम वे मुझे सारी जानकारी देते हैं, इसलिए अशोक चव्हाण ने जो कुछ भी कहा, मैनें उसके बारे में कभी नहीं सुना।'
भारत जोड़ो यात्रा पर दिया यह बयान
इस दौरान राकांपा के 'भारत जोड़ो यात्रा' के महाराष्ट्र चरण में शामिल होने के सवाल पर शरद पवार ने कहा कि यह कांग्रेस का कार्यक्रम है। इसमें अन्य पार्टियों के शामिल होने का कोई कारण नहीं है। इसके अलावा कांग्रेस के किसी भी नेता ने अन्य दलों को इस यात्रा में शामिल होने के लिए भी नहीं कहा है। ऐसे में कांग्रेस की यात्रा में शामिल होने का कोई कारण नहीं है।
दशहरा रैलियों को लेकर विवाद पर शिवसेना के दोनों गुटों से अपील
राकांपा प्रमुख ने दशहरा रैलियों के आयोजन को लेकर शिवसेना के दोनों गुटों के बीच चल रही तनातनी पर बोलते हुए कहा कि ये कोई नई बात नहीं है। इस तरह के पार्टी के संघर्षों में ऐसी स्थितियां बनती ही रहती है। लेकिन ऐसे संघर्षों में दोनों पक्षों को एक निश्चित सीमा में रहकर ही विरोध करना चाहिए, अन्यथा राज्य की जनता को हानि पहुंचती है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में ऐसे माहौल को सुधारने के लिए वरिष्ठ और जिम्मेदार नेताओं को आगे आना चाहिए। और इसकी मुख्य जिम्मेदारी राज्य के मुख्यमंत्री की होती है। ऐसे में सीएम एकनाथ शिंदे को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके गुट के नेता ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे कड़वाहट बढ़े।
वहीं, मराठा आरक्षण को लेकर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को इस पर निर्णय लेना चाहिए, लेकिन साथ में यह भी तय करना जरूरी है कि इस मुद्दे पर जनता के बीच विवाद ना हो।