उत्तर प्रदेश स्थित वाराणसी (Varanasi) कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi masjid) मामले से जुड़ा एक बड़ा फैसला शुक्रवार को दिया है. कोर्ट ने वजूखाने में कथित तौर पर मिले शिवलिंग (Shivling) की कार्बन डेटिंग (Carbon Dating) कराने की मांग वाला याचिका को खारिज कर दिया है. इस मामले में हिंदू पक्ष के ओर से कोर्ट में कार्बन डेटिंग की मांग की गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है.
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सर्वे के दौरान वजूखाने से मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक परीक्षण की मांग से जुड़ी याचिका पर शुक्रवार को फैसला आ गया. वाराणसी की जिला अदालत ने इस याचिका पर अपना फैसला सुना दिया है. इस मामले में सात अक्टूबर को हिन्दू पक्ष ने अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करते हुए दावा किया था कि वजूखाने में मिला शिवलिंग उनके वाद का हिस्सा है. इस वजह से कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराने की मांग रखी गई है.
किसने रखी थी मांग
दरअसल, हिंदू पक्ष जिसे शिवलिंग कह रहा है उसे मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है. हिंदू पक्ष की मांग था कि कथित शिवलिंग की जांच के लिए कार्बन डेटिंग कराई जाए. ताकि उसकी उम्र का पता चले और फिर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए. कार्बन डेटिंग की मांग चार महिलाओं ने की थी. जिसके बाद शुक्रवार को वाराणसी के जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत इस मामले में फैसला सुनाया है.
बता दें कि किसी वस्तु की उम्र और समय निर्धारण की विधि को कार्बन डेटिंग कहते हैं. इससे 20 हजार साल पुरानी वस्तुओं की उम्र का पता लगाया जा सकता है. कार्बन डेटिंग विधि की खोज 1949 में की गई थी. इसलिए हिंदू पक्ष शिवलिंग की उम्र का पता लगवाने के पक्ष में है. यह पूरा मामला मस्जिद की दीवार से सटी श्रृंगार गौरी की पूजा अर्चना की इजाजत की मांग से शुरू हुआ था, जो शिवलिंग के दावे तक पहुंचा है.