महाराष्ट्र का एक ऐसा गांव जहां भोंगा बजते ही बंद हो जाता है TV, जानें क्या है वजह

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महाराष्ट्र: भारत में बहुत ही ऐसी जगह है जहां कुछ खास होता है, जिस वजह से वह जगह चर्चा में आते है लेकिन आज हम महाराष्ट्र के जिस जगह की बात कर रहे है उसके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं होगा। जी हां दरअसल महाराष्ट्र के सांगली जिले के मोहिते वडगांव गांव में एक अनोखी गतिविधि लागू की गई है। आपको बता दें कि यहां रोजाना डेढ़ घंटे मोबाइल फोन और टीवी बंद करने का अनोखा फैसला लिया गया है। मोबाइल फोन के युग में छात्रों को पढ़ाई करने के लिए और उसका आनंद लेने के लिए यह अनोखी गतिविधियां लागू की गई हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि बच्चे मन लगाकर पढ़ रहे है साथ ही गांव की महिलाएं घर के काम के साथ ही किताबें भी पढ़ रही हैं। आइए जानते है इस गांव के यह अनोखे फैसलें के बारे में… 


गांव के सरपंच का फैसला… 

महाराष्ट्र के सांगली में बसे इस मोहिते वडगांव कडेगांव तालुका के पश्चिम में 3 हजार 105 की आबादी वाला एक गांव है। आपको बता दें कि अब बदलते वक्त के साथ इस गांव के बच्चों ने अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की ओर रुख किया। इससे जिला परिषद में स्कूल सीटों की संख्या प्रभावित हुई। कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हुई। और बच्चों की शिक्षा के प्रति रुचि कम होने लगी।


बच्चों की पढ़ाई महत्वपूर्ण 

इस पर विचार करने के लिए सरपंच विजय मोहिते ने 14 अगस्त को महिलाओं की आम सभा बुलाई। इस अवसर पर सरपंच ने महिलाओं के सामने बच्चों की पढ़ाई का विषय प्रस्तुत किया। बच्चों को उनके भविष्य के बारे में सोचकर पढ़ने के लिए रोजाना डेढ़ घंटे का समय निर्धारित किया गया था। इस वजह से यहां रोजाना डेढ़ घंटे बच्चों की पढ़ाई के लिए टीवी और मोबाइल बंद रखा जाता है। जिससे गांव के बच्चों को अच्छी आदतें लग रही है। 


परिवार में बातचीत भी फिर से शुरू

ऐसे में अब रोजाना बच्चों को पढ़ाई की याद दिलाने के लिए मंदिर पर एक भोंगा भी स्थापित किया जाता है। हर शाम सात बजे भोंगा भी बजाया जाता है। सभी बच्चे घर पहुंच जाते हैं। और पढ़ो। उनके माता-पिता भी अपने बच्चों को पढ़ाते हैं। वहीं, महिलाएं खाना बनाती हैं और तरह-तरह की किताबें पढ़ती हैं। मोबाइल फोन की वजह से परिवार में जो संवाद टूटा था, वह भी फिर से शुरू हो गया है। गांव के सभी टीवी शाम 7 से 8:30 बजे तक बंद रहते हैं। कोई भी इस दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल भी नहीं करता है। इस तरह यह गांव सादगी और संपन्नता की और आगे बढ़ रहा है। 


ये है आदर्श गांव 

मोहिते का इस वडगांव गांव में 15 क्रांतिकारी  हो कर गए है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि स्वतंत्रता संग्राम में इस गांव के लोगों ने बहुत अच्छा काम किया है। देश के अमृत महोत्सव वर्ष के अवसर पर वडगांव में मोहित द्वारा एक क्रांतिकारी निर्णय लिया गया है। गांव में 130 बच्चे प्राइमरी स्कूल में और 450 बच्चे सेकेंडरी स्कूल में पढ़ते हैं। इन बच्चों के भविष्य के बारे में सोच कर पढ़ाई करने के लिए रोजाना डेढ़ घंटे का समय निर्धारित किया गया था। फ़िलहाल गांव के सरपंच मोहिते के इस निर्णय से गांव के बच्चे सुनहरे भविष्य की और आगे बढ़ रहे है। 

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