क्या अनिल देशमुख जैसा होगा हेमंत सोरेन का हाल? ED के समन छोड़कर गलती तो नहीं कर रहे CM

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन प्रवर्तन निदेशालय यानी ED के सामने पेश नहीं हो रहे हैं। अब संभावनाएं हैं कि इससे उनके विकल्प और कम हो सकते हैं। कहा जा रहा है कि एजेंसी के साथ सहयोग करने में बार-बार उनकी तरफ से हो रही ढिलाई भी आगे जाकर उनकी संभावित गिरफ्तारी की एक वजह हो सकती है। झारखंड केस की यह स्थिति काफी कुछ महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख जैसा नजर आती है।


प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA के प्रावधानों के तहत समन, दस्तावेज पेश करने के मामले में ईडी के पास सिविल कोर्ट जितनी शक्तियां हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सीएम के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में काफी मजबूत सबूत मौजूद हैं, जो आरोपियों के साथ उनकी संलिप्तता को दिखाते हैं। आगे कहा गया कि ये आरोपी न केवल उनके साथ राजनीतिक रूप से जुड़े हुए हैं, बल्कि अवैध रूप से हासिल किए गए खनन और अन्य कारोबारों के लिए कथित तौर पर आगे रहकर काम कर रहे थे।


क्या है मामला

रांची में विशेष PMLA कोर्ट में ईडी की तरफ से सीएम के करीबियों के खिलाफ अभियोजन शिकायत दाखिल की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, शिकायत में एजेंसी ने भ्रष्टाचार और खदान लीज आवंटन में पद के गलत इस्तेमाल का हवाला देते हुए मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोप लगाए थे। इससे पहले ईडी ने सोरेन के राजनीतिक करीबी पंकज मिश्रा और दो लोगों को गिरफ्तार किया था और 20 करोड़ रुपये बरामद किए थे। एजेंसी ने दावा किया था कि यह अपराध की आय का बहुत छोटा हिस्सा है, क्योंकि अवैध खनन का काम 1 हजार करोड़ रुपये का था।


रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सीएम सोरेन को तलब करने से पहले एजेंसी ने मनी ट्रेल का पता लगाया है, आरोपियों और गवाहों के बयान भी दर्ज किए गए हैं। 


एजेंसी ने आरोपियों के बयान रिकॉर्ड किए थे कि उन्होंने कैसे खनन पट्टे हासिल किए, लाभार्थी कौन थे। साथ ही यह भी पूछा गया था कि क्यों सीएम की चेक बुक और कुछ साइन किए चेक उनके ठिकानों पर मिले थे।


अनिल देशमुख का मामला समझें

देशमुख ने भी बार-बार समन छोड़े थे। इसके बाद वह 6 महीनों से ज्यादा समय के लिए अंडरग्राउंड हो गए थे। हालांकि, बीते साल 2 नवंबर को उन्हें हिरासत में ले लिया गया था। गिरफ्तारी के बाद से ही देशमुख तीनों न्यायिक व्यवस्थाओं का रुख कर चुके हैं, लेकिन उन्हें कहीं भी राहत नहीं मिली। महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री को न्यायिक हिरासत में एक साल का समय हो चुका है और जांच अभी जारी है।

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