श्रावणमास के अवसर पर अंबरनाथ व उल्हासनगर कैम्प 5 कैलाश कॉलोनी स्थित आम्ब्रेश्वर शिवमंदिर सजने लगा..

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सावनमास में शिवमन्दिर रात 11 बजेतक दर्शनार्थ खुला रहे..

प्राचीन आम्ब्रेश्वर शिव मंदिर में रात्रि 11 बजे तक दर्शन उपलब्ध होने चाहिए ऐसी मांग शिवभक्तों द्वारा की जा रही है।
अंबरनाथ उल्हासनगर 5 का प्राचीन शिव मंदिर उल्हासनगर, अंबरनाथ, कल्याण व ठाणे ज़िला के लाखों भक्तों के लिए पूजा स्थल है, कोरोना संकट काल में लगी पाबंदियों को अभीतक हटाया नही गया है, वर्तमान में शिवमंदिर में दर्शन केवल रात 9 बजे तक ही उपलब्ध है, 

4 जुलाई से पवित्र सावनमास की शुरुआत हो रही है। भक्तों को दर्शन की सुविधा कम से कम रात 11 बजे तक उपलब्ध कराई जाए, रात 9 बजे के बाद ही श्रद्धालुओं को कारोबार और दुकानों से मुक्ति मिलती है और उसके बाद दर्शन के लिए पाबंदियां हैं।

सावन का महीना यानि श्रावण मास पर शिव मंदिरों में जलाभिषेक की तैयारियां पूरी हो गई हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन सोमवार 3 जुलाई को सभी प्रमुख शिवालयों में पूजन शुरू हो जाएगा। भक्तों को कोई दिक्कत नहीं हो, इसकी व्यवस्था कर ली गई है। हालांकि सावन को पहला सोमवार 10 जुलाई को है, लेकिन गुरु पूर्णिमा से ही पूजन व जलाभिषेक शुरू हो जाएंगे।

शिवभक्तों का और हिंदु धर्म का अत्यंत पावन श्रावण महीना के अवसर पर अंबरनाथ व उल्हासनगर कैम्प 5 कैलाश कॉलोनी स्थित आम्ब्रेश्वर शिवमंदिर भी सजने लगा है।



ठाणे जिला और आसपास के जिलों से लाखों की तादाद में आनेवाले दर्शनार्थीयों की सेवा में स्थानीय नागरिकों द्वारा हरसाल प्रसाद वितरण होता है, नपा, मनपा प्रशासन और पुलिस प्रशासन का चुस्त बंदोबस्त होता है,

अंबरनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, मंदिर में मिले एक शिलालेख के अनुसार इसका निर्माण 1060 ईस्वी में शिलाहार राजा ने करवाया था,

स्थानीय निवासी इस मंदिर को पांडवकालीन मानते हैं, यह मंदिर प्राचीन हिन्दू शिल्पकला की ज्वलंत मिसाल है, ग्यारहवीं शताब्दी के मध्य में बने अंबरनाथ शिव मंदिर के बारे में कहा जाता है,

इस मंदिर के बाहर दो नंदी बने हैं, मंदिर की मुख्य मूर्ति त्रैमस्तिकी है, इसके घुटने पर एक नारी है, जो शिव—पार्वती के स्वरूप को दर्शाती है, वालधुनी-वडवन नदी के तट पर बना शिवमंदिर इमली और आम के पेड़ों से घिरा हुआ है, मंदिर की वास्तुकला उच्चकोटि की है, यहां वर्ष 1060 ई. का एक प्राचीन शिलालेख भी पाया गया है,

मंदिर दिनभर दर्शनों के लिए खुला रहता है, माघ के महीने में शिवरात्रि के अवसर पर यहां विशाल मेले का आयोजन होता है,

इस मंदिर को पुनर्निर्माण किया गया है लेकिन पौराणिक कथा यह है कि यह एक एकल पत्थर से पांडवों द्वारा बनाया गया था।

ठाणे ज़िला व आसपास के शिवभक्त हरसाल हज़ारों की तादाद में अपने इष्टदेव भगवान शिव को समर्पित श्रावणमास में विशेष रुपसे व्रत उपवास करते है।



इस बार सावन का महीना 2 महीने का होने वाला है. सावन माह 4 जुलाई से आरंभ होकर 31 अगस्त तक रहेगा. सावन के महीने में 59 दिन रहेंगे. 18 जुलाई से लेकर 16 अगस्त तक सावन अधिकमास रहेगा. इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा. श्रावण मास के दौरान अधिकमास पड़ रहा है।

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