उल्हासनगर पुलिस बनी व्यापारियों के बाद अब पत्रकारों को झूठे केस में फंसाने में अव्वल...
उल्हासनगर जो पूरी तरह से व्यापारियों का शहर माना जाता है। जहां व्यापारी शहर होने के चलते आए दिन व्यापारियों को कभी सामाजिक तो कभी राजनीतिक तकलीफें आती रहती हैं, जिसे चलते आये दिन व्यापारियों को कभी कोर्स तो कभी मीडिया के सामने जा कर अपना दुखड़ा अपनी तकलीफें बतानी पड़ती हैं।
जिन तकलीफों को मीडिया अच्छे से समाज और कुम्भकर्णी नींद में सोये प्रशासन को जगाने में अपना परम दायित्व निभाते आ रहा है। मगर आज कल उल्हासनगर पुलिस में हिटलर शाही देखने को मिल रही है। वो भी उन पत्रकारों के खिलाफ हैं जो खुल के सामाजिक मुद्दों पर बेबाकी से खबरें लिखते हैं।
ऐसे में पत्रकारों को फूलपगारे आज कल झूठे मामलों में फंसाने का ठेका पैसे वालों से ले चुका है .. फूलपगारे को नई अच्छी मलाईदार पोस्टिंग चाहिए जिसके लिए अब उसको कहीं गुना माल ऊपर पहुंचाना है। तभी आज कल किसी के कौन सी भी शिक़ायत को बिना सोचे समझे गंभीर तरह के गुनाह में परिवर्तन कर एफ.आई.आर में दाखिल जा रहा है। बिना ये सोचे के वो सामने वाला व्यापारी है, या युवा लड़का है या एक अच्छा नामचीन पत्रकार...?
अभी पिछले दिनों दिलीप मिश्रा नमक पत्रकार के ऊपर खंडनी और विनय भंग का झूठा केस वो भी 2/3 साल पुराना बता कर दखिल कर दिया। तो वहीं चंदन तिरलोकनी नामक बिंदास बोल यूट्यूबर्स (पोर्टल पत्रकार) के ऊपर भी बिना सोचे समझे मात्र 5 हजार का हफ्ता मंगाने का झूठा गुना दर्ज कर दिया...अब उल्हासनगर के कुछ पत्रकारों और संगठन ने ठान लिया है कि इस फूलपगारे के खिलाफ आने वाले महाराष्ट्र के अधिवेशन के साथ हाईकोर्ट के सामने अब ये सब ऐसे झूठे मामलों को रखेंगे .. .जैसे मोती दुसेजा नाम एक व्यापारी ने रखा था जिसके ऊपर एक अवैध हथियार उल्हासनगर के ही सेंट्रल पुलिस द्वारा उसकी दुकान पर रख कर उसको झूठे मामले में फंसा कर गिरफ्तार किया गया था। फिर दुसेजा ने हाई कोर्ट में केस की इंक़यारी करने के लिए अपील किया और कुछ सबूत दिए। इसके बाद उल्हासनगर के डीसीपी को आगे आ कर पूछताछ कर दुसेजा की क्लीन चिट देनी पड़ी और कुछ भूमाफियाओं को गिरफ्तार करना पड़ा.. पर उस वक्त से लेके अब तक भी किसी भी पुलिस कर्मी और अधिकारी के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं हुई .दुसेजा को मिला भी तो आधा अधूरा इन्साफ..मगर आज चंदन तिरलोकानी के ऊपर दर्ज झूठे मामले को लेकर कई सामाजिक संगठन भी फूलपगारे के निलंबित होने तक बिना डरे ऊपर तक आवाज उठाते रहेंगे..
वहीं किसी भी व्यापरी या किसी के ऊपर भी उल्हासनगर पुलिस द्वारा कोई ऐसे गुनाह दाखिल किया हुआ है जिसका आपके पास सबूत हो कि वो बेगुनाह है, तो आप समाज सेवक सोनू दुसेजा के साथ पत्रकार तिरलोकानी या हिंदमाता कार्यालय आ कर मिल के मामले के सबूत दे सकते हैं। यकीन मानिए आज के बाद फूलपगारे को अपनी दिवाली रंगीन करने के चक्कर में किसी बेगुनाह की दिवाली काली नहीं करने देंगे।
वो कहावत फूलपगारे के ऊपर सच होती दिख रही कि झूठा केस करते जा रहा है सब पे ये सोच कर "मुफ़्त का चंदन घिस मेरे नंदन"...
पर फूलपगारे को ये नहीं मालूम की झूठ झूठ होता है और चंदन का पैर वो चीज होती है जहां जहरीले से जहरीले सांप भी खेल खेल कर थक जाते हैं पर चंदन को और उसकी खुशबू को आंच तक नई आती..
अब ऐसे ही फूलपगारे के अन्य मामले को पढ़ने के लिए पढ़ते रहे हिंदमाता अखबार...