भारत ने कनाडाई उच्चायुक्त और छह अन्य राजनयिकों को निष्कासित करने का कड़ा कदम उठाया है, जिन्हें 19 अक्टूबर तक देश छोड़ने का आदेश दिया गया है। यह फैसला दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव के बीच लिया गया है, जो खालिस्तानी अलगाववादियों को लेकर अलग-अलग विचारधाराओं के परिणामस्वरूप उभरा है।
इस राजनयिक विवाद की शुरुआत तब हुई जब कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर कनाडा में एक सिख अलगाववादी नेता की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया। भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है और इसके विपरीत, कनाडा में सक्रिय खालिस्तानी गुटों की बढ़ती गतिविधियों पर चिंता जताई है, जो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा माने जाते हैं। इसके बाद, कनाडा ने भी अपने राजनयिक स्टाफ को भारत से कम कर दिया, जिससे दोनों देशों के संबंधों में और तनाव आ गया।
यह मामला वैश्विक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत और कनाडा के बीच आर्थिक और राजनीतिक रूप से मजबूत संबंध हैं, जो इस तनाव से प्रभावित हो सकते हैं।